भारत में लगातार घट रही गरीबी... एसबीआई की रिपोर्ट में खुलासा, 12 साल में सबसे कम
SBI Report: एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत में गरीबी का स्तर लगातार घट रहा है. गांवों में गरीबी का लेवल घटकर 4 प्रतिशत के करीब रह गया है. इतना ही नहीं शहरों में यह पहले के लेवल से काफी नीचे पहुंची है.
Rural Poverty in India: देश में ग्रामीण गरीबी दर में पिछले 12 साल में करीब 21 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है. यह जानकारी एसबीआई रिसर्च की तरफ से जारी रिपोर्ट में दी गई. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में फाइनेंशिलय ईयर 2011-12 में ग्रामीण गरीबी दर 25.7 प्रतिशत थी, जो कि फाइनेंशिलय ईयर 2023-24 में कम होकर 4.86 प्रतिशत हो गई है, यह 20.84 प्रतिशत की कमी को शो करती है. इस दौरान शहरी गरीबी दर 4.6 प्रतिशत से गिरकर 4.09 प्रतिशत हो गई है.
गरीबी की दर अब 4 से 4.5 प्रतिशत के बीच
रिपोर्ट में कहा गया, 'समग्र स्तर पर हमारा मानना है कि भारत में गरीबी की दर अब 4 प्रतिशत से 4.5 प्रतिशत के बीच हो सकती है. वहीं, ज्यादा गरीबी का स्तर अब करीब न्यूनतम हो गया है.' रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण गरीबी में तेज गिरावट की वजह कमजोर वर्ग में सरकारी समर्थन से उपभोग बढ़ना है. साथ ही रिसर्च में यह भी पया गया कि खाने-पीने की चीजों की कीमत में बढ़ोतरी होने का असर खाद्य खर्च पर ही, बल्कि कुल खर्च पर भी होता है.
शहरी गरीबी में और भी कमी आएगी
रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 के फ्रैक्टाइल डिस्ट्रीब्शून के आधार पर, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का सैंपल रेश्यो फाइनेंशियल ईयर 24 में 4.86 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 4.09 प्रतिशत रहा है. यह वित्त वर्ष 23 के ग्रामीण गरीबी के 7.2 प्रतिशत और शहरी गरीबी के 4.6 प्रतिशत के अनुमान से भी काफी कम है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'यह संभव है कि 2021 की जनगणना पूरी होने और नई ग्रामीण-शहरी जनसंख्या हिस्सेदारी प्रकाशित होने के बाद इन संख्याओं में मामूली संशोधन हो सकता है. हमारा मानना है कि शहरी गरीबी में और भी कमी आ सकती है.'
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, 'ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPSE) का अंतर 69.7 प्रतिशत है, जो 2009-10 के 88.2 प्रतिशत से काफी कम है. यह मुख्य रूप से सरकारी योजनओं जैसे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण, किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण आजीविका में अधिक सुधार के कारण संभव हुआ है. (इनपुट IANS)