SEBI ने सख्त किये SME आईपीओ से जुड़े नियम, निवेशकों के पैसे का नहीं होगा `गलत` यूज
Sebi: एसएमई आईपीओ में शेयरहोल्डर की तरफ से ओएफएस (OFS) की सीमा कुल इश्यू साइज के 20 प्रतिशत तक सीमित कर दी गई है. इसके अलावा, बिक्री करने वाले शेयरहोल्डर अपनी मौजूदा हिस्सेदारी का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा नहीं बेच सकेंगे.
SME IPO Update: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (sebi) ने छोटी और मिड साइज कंपनियों (SME) के लिए नियमों को सख्त कर दिया है. सेबी की तरफ से यह सख्ती ऐसी कंपनियों के लिए की गई है जो शेयर मार्केट में लिस्टेड होने का प्लान कर रही हैं. सेबी की तरफ से मर्चेंट बैंकर के लिए भी नियम सख्त किये गए हैं. म्यूचुअल फंड मैनेजर्स के लिए नए फंड ऑफर (NFO) के जरिये जुटाए गए पैसे को यूज करने की टाइम लिमिट तय की है. इसके अलावा, सेबी ने बिक्री पेशकश (OFS) को सीमित करने का फैसला किया है और प्रवर्तकों के लिए स्टेप बॉय स्टेप ‘लॉक-इन’ पेश किया है. सेबी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में इसको लेकर फैसला किया गया.
कारोबारी सुगमता बढ़ावा देने के लिए सुधारों को मंजूरी दी
सेबी की तरफ से दिये गए बयान के अनुसार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने डिबेंचर ट्रस्टी, ईएसजी रेटिंग प्रोवाइडर, इनविट्स, रीट्स और एसएम रीट्स के लिए कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए सुधारों को मंजूरी दी. इसके अलावा अनुमोदित सुधारों का मकसद एसएमई को अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड देना और निवेशकों के हितों की रक्षा करते हुए जनता से पैसा जुटाने का मौका देना है. इस बारे में बोर्ड ने सेबी (ICDR) विनियम, 2018 और सेबी (LODR) विनियम, 2015 में संशोधन को मंजूरी दी. यह कदम एसएमई के इश्यू बढ़ने के बाद उठाया गया है.
एक करोड़ का ऑपरेटिंग प्रॉफिट दिखाना होगा
प्रॉफिटेबिलिटी क्राइटेरिया के बारे में एसएमई (SME) यूनिट की तरफ से लाए जाने वाले आईपीओ के बारे में सेबी (sebi) ने कहा कि इश्यू लाने की योजना बनाने वाली छोटी और मिड साइज कंपनियों को अपना मसौदा दस्तावेज (DRHP) दाखिल करते समय पिछले तीन में से दो फाइनेंशिलय ईयर में कम से कम एक करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट दिखाना होगा. एसएमई आईपीओ में शेयरहोल्डर की तरफ से ओएफएस (OFS) की सीमा कुल इश्यू साइज के 20 प्रतिशत तक सीमित कर दी गई है. इसके अलावा, बिक्री करने वाले शेयरहोल्डर अपनी मौजूदा हिस्सेदारी का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा नहीं बेच सकेंगे.
शेयरहोल्डिंग लिस्टेड ‘लॉक-इन’ अवधि के अधीन होगी
इसके अलावा, मिनिमम प्रमोटर कॉन्ट्रीब्यूशन (MPC) से ज्यादा प्रमोटर की शेयरहोल्डिंग लिस्टेड ‘लॉक-इन’ अवधि के अधीन होगी. अतिरिक्त हिस्सेदारी का आधा हिस्सा एक साल के बाद जारी किया जाएगा, जबकि बाकी 50 प्रतिशत दो साल के बाद जारी होगा. एसएमई आईपीओ में गैर-संस्थागत निवेशकों (NII) के लिए आवंटन पद्धति को मुख्य बोर्ड आईपीओ में अपनाई गई पद्धति के अनुरूप बनाया जाएगा, ताकि एकरूपता सुनिश्चित की जा सके. एसएमई आईपीओ में नॉर्मल कॉरपोरेट उद्देश्य (GPC) के लिए आवंटित राशि को कुल इश्यू साइज का 15 प्रतिशत या 10 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, तक सीमित कर दिया गया है.
एसएमई निर्गमों को आईपीओ से मिली राशि का उपयोग प्रवर्तकों, प्रवर्तक समूहों या संबंधित पक्षों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लिए गए कर्ज चुकाने में करने की अनुमति नहीं होगी. एसएमई आईपीओ के लिए डीआरएचपी को 21 दिन के लिए सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए. जारीकर्ताओं को समाचार पत्रों में घोषणाएं प्रकाशित करने और डीआरएचपी तक आसान पहुंच के लिए क्यूआर कोड शामिल करने की जरूरत होगी. एसएमई कंपनियों को मुख्य बोर्ड में ट्रांसफर हुए बिना ही आगे के इश्यू के जरिये धन जुटाने की अनुमति होगी, बशर्ते वे मुख्य बोर्ड-लिस्टेड संस्थाओं पर लागू सेबी (LODR) नियमों का पालन करें.
एसएमई लिस्टेड संस्थाओं को मुख्य बोर्ड पर लिस्टेड कंपनियों पर लागू संबंधित पार्टी लेनदेन (आरपीटी) मानदंडों का पालन करना होगा. देश के इक्विटी मार्केट के मजबूत प्रदर्शन से प्रेरित होकर, पिछले दो साल में एसएमई के आईपीओ में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है. वित्त वर्ष 2023-24 में एसएमई आईपीओ की संख्या और जुटाई गई धनराशि रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई. इस दौारान 196 आईपीओ ने 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए. वित्त वर्ष 2024-25 में, 15 अक्टूबर तक, 159 एसएमई आईपीओ ने 5,700 करोड़ रुपये से अधिक जुटा लिए थे.