दिल्ली: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के हक में देश की सबसे बड़ी अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को इलाज के दायरे को सीमित नहीं किया जा सकता है. इसका मतलब ये हुआ कि केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स CGHS पैनल के  बाहर के अस्पतालों में भी इलाज करा सकेंगे.


एक पेंशनर ने लगाई थी गुहार


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ये पूरा मामला बड़ा पेचीदा है. केंद्र सरकार के एक रिटायर्ड कर्मचारी ने एक मेडिकल बिल के भुगतान की मांग की थी लेकिन सरकार मेडिक्लेम देने से इनकार कर रही थी क्योंकि पेंशनर ने CGHS पैनल के बाहर अस्पताल में इलाज कराया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपातकालीन स्थिति में CGHS पैनल के बाहर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए मेडिक्लेम मिलना चाहिए.


फैसले का क्या असर पड़ेगा


सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनर्स को बड़ा  फायदा मिलेगा क्योंकि गंभीर बीमारी के इलात की स्थिति में कई बार मरीज को CGHS के पैनल के  बाहर निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ता है. अब ऐसा कोई भी मामला मेडिक्लेम पाने का हकदार होगा. इस फैसले से और भी कई ऐसे लोगों को राहत मिल जाएगी जिन्होंने मजबूरी में पैनल के बाहर इलाज कराया हो.


CGHS पैनल क्या है


Central Government Health Scheme को हिंदी में केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना के नाम से जाना जाता है. इस योजना की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि केंद्रीय कर्मचारियों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत ये योजना चलाई जाती है. पिछले तकरीबन 60 सालों से इस योजना का लाभ केंद्रीय कर्मचारियों को मिल रहा है. समय के साथ-साथ इस योजना में बदलाव भी किया जाता है जिससे कर्मचारियों को पूरा फायदा मिल सके.


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बढ़ जाएगी सैलरी और पेंशन


सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के हित में जल्द फैसला ले सकती है क्योंकि DA में इजाफे की खबर से तकरीबन 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स में खुशी की लहर दौड़ जाएगी. सरकार ने कहा था कि पहले से 17 प्रतिशत का जो हिसाब चला आ रहा है, उसी के मुताबिक 2021 तक केंद्रीय कर्मचारियों को डीए मिलता रहेगा लेकिन अब इसमें बढ़ोतरी की आस जगी है और पूरे आसार हैं कि जल्द ही केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार खुश कर सकती है.


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