नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को येस बैंक (Yes Bank) पर रोक लगा दिया है, जिससे ग्राहकों को बढ़ा झटका लगा है. वित्तीय संकट से जूझ रहे येसबैंक पर आरबीआई ने बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के तहत कार्रवाई करते हुए बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया है और अपना एक एडमिनिस्ट्रेटर येसबैंक में बैठा दिया है. वहीं ग्राहक भी अपने येसबैंक अकाउंट से 50 हजार से ज्यादा रुपये नहीं निकाल सकेंगे. इससे ग्राहकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. येसबैंक की वित्तीय हालात इतनी खराब कैसे हुई? ये सवाल इस सभी के मन में है. इस रिपोर्ट से समझिए...


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RBI ने क्यों लगाई पाबंदी?
आसान शब्दों मे कहें तो सरकार किसी भी हालत में येस बैंक को डुबने से बचाना चाहती है. इसके लिए सरकार ने बैंक पर ये पाबंदियां लगाई है. आरबीआई ने कहा कि सार्वजनिक हित और बैंक के जर्माकर्ताओं के हित को ध्यान में रखते हुए बैंकिग नियम कानून 1949 की धारा 45 के तहत पाबंदियां लगाई गई है. इसके अलावा हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था. बयान में कहा गया कि बैंक के प्रबंधन ने इस बात का संकेत दिया था कि वह विभिन्न निवेशकों से बात हो रही है और इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है, लेकिन विभिन्न वजहों से उन्होंने बैंक में कोई पूंजी नहीं डाली. 


क्या होता है मोराटारिम?
मोराटोरियम का मतलब होता है किसी विशेष समय के लिए संबंधित गतिविधियों या कार्य को यथास्थिति पर रोक देना. यानी अब बैंक अब न लोन दे सकेगा और न बिना अनुमति के कैश निकाला जाएगा. येसबैंक का मोराटोरियम 5 मार्च से शुरू हो रहा है और अगले 30 दिन तक लागू रहेगा.


बैंक पर कितना कर्ज?
रिपोर्ट की माने तो येसबैंक पर कुल 24 हजार करोड़ डॉलर कर कर्ज है और बैंक के पास करीब 40 अरब डॉलर की बैलेंस सीट है. कैपिटल बेस बढ़ाने के लिए बैंक ने 2 अरब डॉलर चुकाने का फैसला किया था, जिसके लिए बैंक ने अपना रेजोल्यूशन प्लान SBI, HDFC, LIC और AXIS बैंक को सौंपा था, लेकिन प्लान पर सहमति नहीं बनी. बताते चले कि अगस्त 2018 में बैंक के शेयर का प्राइस 400 रुपये था, जो वित्तीय संकट के चलते फिलहाल 37 रुपये के करीब है. 


RBI गर्वनर से शिकायत?
येसबैंक के स्वतंत्र निदेशक उत्तम प्रकाश अग्रवाल ने इस साल जनवरी में कंपनी संचालन के मानकों में गिरावट का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. आरबीआई गर्वनर को लिखे पत्र में अग्रवाल ने कंपनी संचालन नियमों के उल्लंघन, प्रवाधानों का अनुपालन नहीं होने समेत गिल पर निदेशक मंडल के अधिकतम सदस्यों को नियंत्रण में लेने का आरोप लगाया है. गिल पर तुरंत कार्रवाई की मांग करते हुए पत्र में लिखा कि जब से गिल प्रबंधक बने हैं, बैंक का बाजार पूंजीकरण 40 हजार करोड़ रुपये कम हुआ है. बता दें कि मार्च 2019 में बैंक का पूंजीकरण 55 हजार करोड़ रुपये था, जो जनवरी 2020 में घटकर 11 हजार करोड़ रुपये पर आ गया है. बताते चलें कि गिल बैंक से 1 मार्च 2019 से जुड़े थे.


बैंक से मांगा स्पष्टीकरण?
मीडिया रिपोर्ट की मुताबिक येसबैंक की 49 फीसदी हिस्सेदारी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को जाएगी. बीते गुरुवार को ये खबर मीडिया रिपोर्ट में सामने आई थी. इस हिस्सेदारी के बदले एलआईसी और एसबीआई 490 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. वहीं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने इस पर आपत्ति जाहिर करते हुए शुक्रवार को बैंक से स्पीष्टीकरण की मांगा की है. बीएसई ने कहा की जवाब की प्रतीक्षा है.


 


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