कैबिनेट फैसलाः सरकार ने बढ़ाया ईथेनॉल का दाम, गन्ना किसानों को होगा फायदा
केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) ने बुधवार को ईथेनॉल (Ethanol) की कीमतों में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है. इसका फायदा गन्ना किसानों के अलावा चीनी मिलों को भी होगा.
नई दिल्लीः केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) ने बुधवार को ईथेनॉल (Ethanol) की कीमतों में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है. इसका फायदा गन्ना किसानों के अलावा चीनी मिलों को भी होगा. ईथेनॉल मिक्स पेट्रोल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है. अब सरकारी तेल कंपनियां इसी कीमत पर चीनी मिलों से ईथेनॉल को खरीदेंगी.
इतनी होगी कीमत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज कैबिनेट की बैठक में तीन महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने फैसलों की जानकारी देते हुए कहा है कि सरकार ने पहला फैसला लिया है कि चीनी से बनने वाली इथेनॉल की नई कीमत अब 62.65 रुपये लीटर होगी. इथेनॉल बी हैवी की कीमत 57.61 रुपये, सी हैवी की कीमत 45.69 रुपये होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने दिसंबर 2020 से शुरू हो रहे आपूर्ति वर्ष के लिये गन्ना से निकाले गये ईथेनॉल की कीमत मौजूदा 59.48 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 62.65 रुपये प्रति लीटर कर दी.
भारत ईंधन की जरूरतों की पूर्ति के लिये 85 फीसदी आयात पर निर्भर है. भारत वाहनों का उत्सर्जन कम करने के साथ ही पेट्रोलियम पदार्थां का आयात घटाने के लिये पेट्रोल में 10 प्रतिशत ईथेनॉल मिलाने की अनुमति देता है. यह गन्ना किसानों को अपनी फसल बेचने का एक अन्य विकल्प भी प्रदान करता है. ईंधन विपणन कंपनियों के द्वारा भुगतान की गयी ईथेनॉल कीमत में लगातार वृद्धि से ईथेनॉल की खरीद 2013-14 के 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 2019-20 में 195 करोड़ लीटर पर पहुंच गयी।
जावड़ेकर ने कहा कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड जैसी तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल में मिलाने के लिये बनाये गये ईथेनॉल पर लगने वाले माल एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा ढुलाई की लागत का वहन करेंगी. ईथेनॉल शून्य उत्सर्जन वाला पर्यावरण के बेहद अनुकूल ईंधन है.
इससे पहले तक हर प्रकार के ईथेनॉल के लिये एक ही कीमत थी, लेकिन अब सरकार ने अलग स्रोतों वाले ईथेनॉल की अलग-अलग कीमतें निर्धारित की है. इसके अलावा सरकार ने किसानों के हित में और डैम की सुरक्षा के लिए भी फैसला किया है. सरकार ने फैसला किया है कि जूट से बनी बोरी का प्रयोग बढ़ाया जाएगा. अब से अनाज की पैकिंग के लिए 100 फीसदी जूट की बोरी का प्रयोग होगा. वहीं चीनी की पैकिंग के लिए भी 20 फीसदी जूट से बनी बोरी का प्रयोग होगा.
मौजूदा विपणन सत्र अगले महीने समाप्त होगा. इसमें चीनी मिलें अभी तक करीब 195 करोड़ लीटर इथेनॉल उपलब्ध करा चुकी हैं. इनमें से 142 करोड़ लीटर यानी करीब 73 प्रतिशत की आपूर्ति तेल विपणन कंपनियों को की जा चुकी है. सरकार के 10 फीसदी तक मिश्रण की मंजूरी दी है. पर अभी उपलब्धता कम होने के कारण पेट्रोल में पांच फीसदी इथेनॉल की मिलावट पेट्रोल में की जा रही है. तेल विपणन कंपनियों ने 2020-21 में 10 फीसदी इथेनॉल मिलावट का लक्ष्य पाने के लिये 465 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदने की योजना तय की है.
चीनी मिलों के पास करीब 3.55 अरब लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने की क्षमता है, जिनके कुछ साल में बढ़कर करीब 4.66 अरब लीटर हो जाने का अनुमान है.
बांधों के रखरखाव के लिए फेज 2 व फेज 3 योजना को मंजूरी
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि इसके अलावा कैबिनेट ने देश भर में मौजूद बांधों के रखरखाव के लिए एक ही योजना के फेज 2 और फेज 3 को मंजूरी दी गई है. बांधों की संख्या में हम चीन और अमेरिका के बाद तीसरे नंबर पर हैं. इन बांधों में 80 फीसदी बांध 25 साल और उससे ज्यादा पुराने हैं. जिन वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल उनके रख रखाव में चाहिए उसकी कैपेसिटी बिल्डिंग की जरूरत महसूस की जाती रही है. बांध बाढ़ नियंत्रण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सरकार ने पिछले 6 सालो में 207 बांधों के पुनर्वास का काम पूरा कर लिया है. बांधों की मालकियत राज्यों के पास है और जो राज्य हमारे धर्मा प्रोजेक्ट में साथ जुड़े है हम उनको फंड देंगे. डैम के चयन का अधिकार राज्यों के हाथ में है.
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