China Evergrande Group Crisis: चीन के बुरे दिन शुरू! ₹24 लाख करोड़ के कर्ज में डूबी अपनी इस कंपनी की 'कंगाली' से सहमा ड्रैगन, आंच भारत तक  : कोविड के बाद से चीन की अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती खत्म होने के बजाए बढ़ती जा रही है. खासकर चीन के रियल एस्टेट सेक्टर पर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा है. चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी दिवालिया होने के बाद अब बंद होने की नौबत पर पहुंच गई है. कंपनी को बेचने का आदेश दे दिया गया है. चीन का रियल एस्टेट संकट इतना विकराल होता जा रहा है कि उसने सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक एवरग्रांड को अपनी चपेट में ले लिया. हॉन्गकॉन्ग कोर्ट ने एवरग्रांड को लिक्विडेट करने का आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद एवरग्रैंड और उसकी लिस्‍टेड सब्सिडियरी कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग पर रोक लगा दी गई है.  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कर्ज में डूबी कंपनी 


रॉयटर्स के मुताबिक चीन की रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांड दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज वाली रियल एस्टेट कंपनी है. कंपनी है, जिसपर 300 अरब डॉलर से अधिक कर्ज है. कर्ज चुकाने में लगातार असफल होने के बाद कंपनी ने पहले ही दिवालिया होने का आवेदन दिया था, अब हॉन्गकॉन्ग की एक अदालत ने कर्ज के बोझ से दबी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांड को बंद करने का आदेश दे दिया है. चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांड के पास नकदी दो साल पहले खत्म हो गई थी. कंपनी ने साल 2021 में ही खुद को डिफॉल्ट घोषित कर गिया था, जिसके बाद अब इसे बंद करने का आदेश दे दिया गया है.  कोर्ट ने कंपनी की संपत्तियां बेचकर कर्ज वसूलने का आदेश दिया है.  भारी कर्ज के बोझ तले दबी कंपनी  को लोन चुकाने के लिए फूल प्रूव प्लान पेश करने को कहा गया था, लेकिन कंपनी 18 महीनों में कोई समाधान नहीं दे सकी, जिसके बाद अब कंपनी की प्रॉपर्टीज को बेचकर 300 अरब डॉलर यानी करीब 24 लाख करोड़ रुपये वसूलने का आदेश दे दिया गया है. 


चीन की इकोनॉमी पर संकट


एवरग्रांड के बंद होने से चीन की मुश्किल बढ़ रही है. पहले से हिली हुई चीन की इकोनॉमी में एवरग्रांड पर दिए गए इस फैसले ने चीन को बड़ा झटका दिया है. आपको बता दें कि चीन की जीडीपी में रियल एस्टेट की हिस्सेदारी 30 फीसदी के आसपास है. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी के डूबने से वहां की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा. इस कंपनी के बंद होने के फैसले से चीन के प्रॉपर्टी मार्केट हिल गया है.  चीन का प्रॉपर्टी मार्केट 9 साल के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. ऐसे वक्त में एवरग्रांड के डूबने से पूरे रियल एस्टेट पर असर पड़ेगा. ये असर सिर्फ रियल एस्टेट तक ही नहीं बल्कि दूसरे सेक्टर तक फैल चुका है. रियल एस्टेट में आई इस सुनामी की चपेट में चीन का बैंकिंग सेक्टर आने लगा है. चीन का शेयर बाजार 5 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है.  


2 लाख लोगों की नौकरी पर संकट 


एवरग्रांड कंपनी के डूबने से बेरोजगारी संकट और बढ़ जाएगा. एवरग्रांड में 2 लाख के करीब कर्मचारी है. इस कंपनी के डूबने पर इन लोगों पर बेरोजगारी का संकट मंडराने लगा है. यह कंपनी चीन में हर साल 30 से 40 लाख डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रोजगार पैदा करती है. बैंकों पर भारी एनपीए का बोझ बढ़ता जा रहा है. जिसका असर चीन की इकॉनमी पर होगा. कंपनी अपनी गलतियों के चलते कंगाल हुई. कर्ज के बोझ को नजरअंदाज करते हुए आक्रामक विस्तार नीतियों ने कंपनी को गर्त में डाल दिया. कंपनी ने बैंकों के कर्ज को चुकाने के बजाए अपने एक्सपेंशन पर ज्यादा फोकस किया. कंपनी ने लंबे वक्त तक बाजार को इस बात का अहसास नहीं होने दिया कि वो भारी कर्ज में है. चीन के रियल एस्टेट में आई सुस्ती के चलते कंपनी के प्रोजेक्ट बिकने बंद हो गए. प्रोजेक्ट बिक नहीं रहे हैं और कर्ज बढ़ता जा रहा है. ऐसे में अब कंपनी ठप पड़ गई. 


बर्बादी की आंच भारत तक 


रियल एस्टेट सेक्टर में एवरग्रांड का दबदबा है. कंपनी के बंद होने से उन लोगों पर असर पड़ेगा, जिन्होंने इसके प्रोजेक्ट में फ्लैट की बुकिंग की है. ऐसे लोगों की गाढ़ी कमाई डूब जाएगी, जिन्होंने एवरग्रांड के आधे-अधूरे प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक किया है. उन कंपनियों पर असर होगा, जो एवरग्रांड के साथ कारोबार करती है. उन फर्मों पर असर होगा, उन छोटी कंपनियों पर दिवालिया होने का संकट मंडरा रहा है. एवरग्रांड क्राइसिस से चीन से विदेशी निवेशकों का मोह भंग हो सकता है.  भारत की भी कई कंपनियां है जो एवरग्रांड के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर कारोबार करती है. स्टील, केमिकल्स, मेटर सेक्टर की कई कंपनियां जैसे टाटा, सेल, जिंदल, अडानी चीन की इस रियल एस्टेट कंपनी के साथ कारोबार करती है. इस कंपनी के बंद होने से उनके कारोबार पर असर पड़ेगा.  भारत की इन कंपनियों को भी नुकसान हो सकता है.