चुनाव बाद भी गेहूं की कीमत पर बनी रहेगी राहत! सरकारी खरीद पिछले साल से आगे निकली
Wheat Procurement: सरकार की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि केंद्रीय भंडारण के लिए 262.48 लाख टन रबी मौसम का अनाज खरीदा जा चुका है. इससे 59,715 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ 22.31 लाख किसानों को फायदा हुआ है.
Wheat Buying Target: पिछले साल गेहूं और चावल की बढ़ती कीमत ने आम आदमी के माथे पर सिलवटें ला दी थीं. इसके बाद सरकार ने कीमत पर लगाम लगाने के लिए बफर स्टॉक से गेहूं की बिक्री शुरू की. नीलामी के जरिये थोक व्यापारियों को गेहूं की बिक्री की गई, इससे चुनावी साल में गेहूं के दाम एक स्तर पर कायम रखने में मदद मिली. गेहूं की कीमत पुराने स्तर पर ही बरकरार रखने के लिए सरकार ने इस बार गेहूं खरीद का लक्ष्य बढ़ा दिया. लेकिन गेहूं खरीद में शुरुआती गिरावट के बाद अब इसमें तेजी आई है.
पिछले साल कुल खरीद 262.02 लाख टन रही
गेहूं खरीद फसल वर्ष 2024-25 में पिछले साल से आगे निकल गई है. इस दौरान गेहूं खरीद 262.48 लाख टन रही, जबकि पिछले साल कुल खरीद 262.02 लाख टन रही थी. खास तौर पर पंजाब और हरियाणा में अच्छी खरीद से गेहूं की खरीद को बढ़ावा मिला है. सरकार की तरफ से जारी एक बयान में बताया गया कि केंद्रीय भंडारण के लिए 262.48 लाख टन रबी मौसम का अनाज पहले ही खरीदा जा चुका है. इससे 59,715 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ 22.31 लाख किसानों को फायदा हुआ है.
पंजाब में सबसे ज्यादा गेहूं खरीदा, एमपी पिछड़ा
बयान में कहा गया कि पंजाब में 124.26 लाख टन, हरियाणा में 71.49 लाख टन, मध्य प्रदेश में 47.78 लाख टन, राजस्थान में 9.66 लाख टन और उत्तर प्रदेश में 9.07 लाख टन खरीद की गई. गेहूं की खरीद आमतौर पर अप्रैल से मार्च तक चलती है. लेकिन केंद्र ने इस साल राज्यों को फसल की आवक के आधार पर खरीद करने की अनुमति दी है. अधिकतर राज्यों में खरीद मार्च की शुरुआत में शुरू हुई. सरकार ने फसल वर्ष 2024-25 के लिए गेहूं खरीद का लक्ष्य 30 से 32 करोड़ टन निर्धारित किया है.
चावल की खरीद भी सही तरीके से चल रही
चावल की खरीद भी सही तरीके से चल रही है. 489.15 लाख टन चावल के बराबर 728.42 लाख टन धान करीब 1,60,472 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 98.26 लाख किसानों से खरीदा गया है. सरकार ने कहा कि गेहूं और चावल का संयुक्त भंडार वर्तमान में केंद्रीय भंडारण में 600 लाख टन से ज्यादा है. यह पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ बाजार में हस्तक्षेप के तहत देश को अपनी खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए एक आरामदायक स्थिति में लाता है.