Stock Market: शेयर मार्केट में कमाई के कई मौके लोगों को मिलते हैं. इसके साथ ही लोग शेयर मार्केट में इंवेस्टमेंट भी कर सकते हैं. इंवेस्टमेंट के लिए लोग शेयर मार्केट में अपना पोर्टफोलियो भी बनाकर रखते हैं. हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है कि एक पोर्टफोलियो ही लंबे वक्त तक चलाया जाए, समय-समय पर आप अपने पोर्टफोलियो को रिबैलेंस भी कर सकते हैं. आइए समझते हैं कि कब पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करना सही रहता है.


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शेयर मार्केट पोर्टफोलियो


अपने शेयर मार्केट पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करने के कई सारे तरीके हो सकते हैं. हालांकि उनमें से कई सरल तरीके भी हैं. इसमें सबसे सरल तरीका है कि हर तीन महीने में, हर छह महीने में या फिर कम से कम एक साल में अपने पोर्टफोलियो को रिबैलेंस जरूर करना चाहिए. इसके तहत लोगों को पता रहेगा कि उनके पोर्टफोलियो में शामिल कौनसा शेयर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और कौनसा शेयर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है. ऐसे में उनको अपना पोर्टफोलियो रिबैलेंस करने में आसानी रहेगी.


पोर्टफोलियो रिबैलेंस


वहीं बाजार के ज्यादा उतार चढ़ाव का भी ध्यान रखना चाहिए. बाजार का ज्यादा उतार-चढ़ाव भी कई बार पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करने के लिए प्रेरित करता है. इसके अलावा दूसरा तरीका है कि वित्तीय सलाहकारों की मदद ली जाए. ऐसे में वित्तीय सलाहकार आपको मौजूदा हालात और भविष्य की ग्रोथ को ध्यान में रखते हुए आपके पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करने में मदद कर सकते हैं.


कई फायदे


बता दें कि किसी पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करने के कई सारे फायदे हैं. इसमें समय-समय पर निवेशकों को प्रॉफिट कमाने का मौका मिलता है. किसी शेयर में गिरावट आई है तो उसको खरीदने का मौका मिलता है. इसके साथ ही पोर्टफोलियो में मौजूद कोई शेयर बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर रहा होता है तो उसको निकालने का भी मौका मिलता है. साथ ही पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करने से मिलने वाले रिटर्न को बढ़ाया जा सकता है.