UPS Scheme: केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की मंजूरी दे दी है. यूपीएस की मंजूरी के बाद से ही लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि NPS से शिफ्ट करना बेहतर होगा या उसी में बने रहना. आज हम आपको बताएंगे कि NPS से UPS में शिफ्ट होने पर फायदा होगा या नुकसान. साथ ही हम यह भी बताएंगे कि UPS चुनने से पहले किन जरूरी बातों का ध्यान रखना है.


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UPS में केवल वो लोग ही चुन सकते हैं जो फिलहाल नई पेंशन योजना (एनपीएस) में हैं. इनमें रिटार्यड कर्मचारी भी शामिल हैं. यूपीएस में कर्मचारियों को 25 साल की न्यूनतम नौकरी के बाद रिटायर्ड होने पर आखिरी 12 महीनों में उनके औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में गारंटी दी गई है. जबकि एनपीएस में मिलने वाली राशि बाजार से मिलने वाले रिटर्न पर निर्भर करती है.


निश्चित पेंशन रकम


यूपीएस में पेंशन कम-से-कम 10 साल की सेवा अवधि के लिए आनुपातिक आधार पर तय होगी. साथ ही न्यूनतम 10 साल की नौकरी के बाद रिटायरमेंट पर 10000 रुपये प्रति माह की पेंशन भी सुनिश्चित की गई है. 


इससे पहले पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के तहत कर्मचारियों को उनके अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था. हालांकि, पुरानी पेंशन योजना के उलट यूपीएस अंशदायी प्रकृति की योजना है जिसमें कर्मचारियों को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान करना होगा. वहीं, केंद्र सरकार का योगदान 18.5 प्रतिशत होगा. जबकि एनपीएस के तहत नियोक्ता का योगदान 14 प्रतिशत रखा गया है जबकि कर्मचारी का योगदान 10 प्रतिशत तय है.


इन बातों का रखें ध्यान


अगर कोई भी कर्मचारी NPS से UPS में स्विच करते हैं तो वो वापस NPS का रुख नहीं कर पाएंगे. इसके अलावा 31 मार्च 2025 से पहले रिटायर होने वाले कर्मचारियों को एनपीएस के तहत 800 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान किया जाना है. यदि ऐसे कर्मचारी यूपीएस का विकल्प चुनते हैं तो उन्हें बकाया राशि मिलेगी.


यूपीएस से सरकारी खजाने पर हर साल 6250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने का अनुमान है. हालांकि, कर्मचारियों की संख्या में बदलाव होते रहने से हर साल इसपर खर्च अलग-अलग होगा. 


(इनपुटः भाषा)