Household Budget: लगातार बढ़ती महंगाई से लोगों के घरों का बजट गड़बड़ा रहा है. महंगाई से लड़ने के लिए लोग छोटे पैक का रुख कर रहे हैं, जिसका असर कंपनियों की बिक्री पर देखा जा रहा है.
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FMCG Product Price: महंगाई बढ़ने का असर केवल लोन की ब्याज दर या मकान की कीमत पर ही नहीं पड़ता. इसका असर हर सेक्टर पर देखा जाता है. पिछले दिनों एक रिपोर्ट से साफ हुआ कि लोगों की सैलरी ग्रोथ महंगाई के मुकाबले कम हो रही है. इसका असर यह हो रहा है कि लोगों की परचेजिंग पावर कम हो रही है. इसका असर देश की जीडीपी पर भी देखा जा रहा है. लगातार बढ़ रही महंगाई से आम आदमी से लेकर खास तक परेशान हैं. सरकार और आरबीआई की तरफ से लगातार की जा रही कोशिश के बावजूद महंगाई एक निश्चित दायरे में रोकना मुश्किल हो रहा है. यह महंगाई का ही असर है कि इंडियन कस्टमर छोटे-छोटे पैके में चीजें खरीद रहे हैं.
लोगों के घरेलू बजट पर असर पड़ रहा
टीओआई में प्रकाशित खबर के अनुसार ग्रॉसरी और घरेलू सामान की बढ़ती कीमत का असर लोगों के घरेलू बजट पर देखा जा रहा है. साबुन, स्नैक्स और चाय जैसी चीजों पर महंगाई का असर सबसे ज्यादा देखा जा रहा है. नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के एनालिस्ट ने एक प्रेस नोट में बताया कि पाम ऑयल साल-दर-साल के आधार पर करीब 30% महंगा हो गया है. यह कंज्यूमर प्रोडक्ट में यूज होने वाला प्रमुख तत्व है. उन्होंने कहा, 'कीमत में हो रही बढ़ोतरी के कारण ग्राहक इन कैटेगरी में छोटे पैकेट का रुख कर रहे हैं, जिनमें मात्रा कम हो रही है लेकिन कीमत पिछले स्तर पर ही बनी हुई हैं.
कंपनियों ने पिछली तिमाही में कीमत में इजाफा किया
महंगाई के कारण एफएमसीसी (FMCG) प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों ने पिछली तिमाही में कीमत में इजाफा किया. हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) और गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (GCPL) जैसी कंपनियों ने साबुन की कीमत पर करीब 10% तक की बढ़ोतरी की है. इसके अलावा बीकाजी और टाटा कंज्यूमर जैसी कंपनियों ने भी स्नैक्स और चाय की कीमत में इजाफा किया है. जानकारों का कहना है कि कुछ कंपनियों की तरफ से मौजूदा तिमाही में और भी कीमत बढ़ने की उम्मीद है.
शहरों में गिरी बिक्री की भरपाई गांवों से नहीं होगी
मारिको के एमडी और सीईओ सौगात गुप्ता टीओआई से कहा कि हम एक या दो बार दाम और बढ़ाने के प्रोसेस में हैं और यह काफी होना चाहिए. रोजमर्रा के यूज के लिए एमएमसीजी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों की बिक्री शहरों में कम हो रही है, जिससे उनकी ग्रोथ में गिरावट आई है. हालांकि, गांवों में अच्छी बारिश होने के कारण वहां बिक्री बढ़ रही है. लेकिन, यह बढ़ोतरी धीरे-धीरे हो रही है और इससे शहरों में होने वाली कम बिक्री की भरपाई नहीं हो पा रही है. सामान के दाम काफी बढ़ गए हैं, इसलिए कंपनियां भी कीमतें कम नहीं कर सकतीं.
सामान की क्वांटिटी कम होने से ग्राहकों को नुकसान
एक जानकार ने कहा यदि लोग एक किलो चाय की जगह 500 ग्राम चाय खरीदने लगें या कई साबुन की जगह एक-दो साबुन खरीदने लगें तो कंपनियों की बिक्री पर इसका बुरा असर पड़ेगा. लगातार बढ़ती महंगाई के कारण कंपनियां 5, 10 और 20 रुपये के पैकेट को बाजार में बनाए रखने के लिए सामान की क्वांटिटी कम कर रही हैं. एक एक्सपर्ट ने कहा कि यदि सामान की क्वांटिटी कम होने से ग्राहकों को नुकसान होता है तो वे ऐसे ब्रांड की तरफ रुख करेंगे, जो उन्हें कम कीमत में ज्यादा सामान देते हैं.
खरीदारी को बढ़ाने के लिए सरकार से कदम उठाने की मांग
एफएमसीजी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों ने सरकार से मांग की है कि वह आम लोगों की खरीदारी बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए. नेस्ले कंपनी को ग्रीन कॉफी की कीमत बढ़ने से बहुत नुकसान हुआ है, जिसका इस्तेमाल उसकी तरफ से नेस्ले नेस्काफे बनाने में किया जाता है. नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, 'पिछले तीन साल में ग्रीन कॉफी की कीमत तीन बार बढ़ गई है. हमने लागत कम करने के कई उपाय खोजे और अपने काम करने के तरीके में सुधार किया, ताकि ग्रीन कॉफी की कीमत बढ़ने का असर कम किया जा सके. उसके बाद ही हमने अपने प्रोडक्ट की कीमत बढ़ाई है.