अब खैर नहीं! ये नकली और असली रिसर्च पेपर्स को कर देगा अलग, 94% है एक्यूरेसी रेट
Artificial Intelligence: एआई-बेस्ड एल्गोरिदम डेवलप करने के लिए, रिसर्चर्स ने दो अलग-अलग डेटासेट विकसित किए. उनमें से एक में पबमेड से लिए गए लगभग 4,000 साइंटिफिक आर्टिकल थे
Fake Research Papers AI Tool: रिसर्चर्स ने एक ऐसा इक्विपमेंट बनाया है जो असली रिसर्च आर्टिकल और चैटजीपीटी समेत एआई-चैटबॉट्स द्वारा तैयार किए गए रिसर्च आर्टिकल के बीच अंतर करने में सक्षम है. ‘एक्सफेकएससीआई’ नाम के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) बेस्ड इक्विपमेंट ने 300 नकली और असली साइंटिफिक पेपर्स से 94 प्रतिशत तक नकली पेपर्स का पता लगा लिया.
स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क, अमेरिका और हेफेई यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, चीन के लेखकों ने ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ मैगजीन में प्रकाशित स्टडी रिपोर्ट में कहा कि ‘एक्सफेकएससीआई’ चैटजीपीटी से तैयार किए गए आर्टिकल्स को साइंटिस्टों द्वारा तैयार किए गए प्रकाशनों से अलग करने में सक्षम है. लेखकों ने प्रस्तावित किया कि एआई द्वारा अपनाया जाने वाला राइटिंग स्टाइल मानव रिसर्चर्स द्वारा अपनाई जाने वाली शैली से अलग होता है क्योंकि किसी दिए गए सब्जेक्ट पर कोई लेख तैयार करते समय दोनों के टारगेट समान नहीं होते हैं.
एआई-बेस्ड एल्गोरिदम डेवलप करने के लिए, रिसर्चर्स ने दो अलग-अलग डेटासेट विकसित किए. उनमें से एक में पबमेड से लिए गए लगभग 4,000 साइंटिफिक आर्टिकल थे, जो एक ओपन डेटाबेस है जिसमें बायोमेडिकल और जीवन विज्ञान रिसर्च लेटर हैं और यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा बनाए रखा गया है. दूसरे में 300 नकली आर्टिकल शामिल थे, जिन्हें रिसर्चर्स ने ChatGPT का उपयोग करके बनाया था.
स्टडी के सह-लेखक और स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क के विजिटिंग रिसर्च फेलो अहमद अबदीन हामेद ने कहा, "मैंने बिल्कुल उन्हीं कीवर्ड का उपयोग करने की कोशिश की जिनका उपयोग मैंने पबमेड डेटाबेस से हिस्ट्री निकालने के लिए किया था, ताकि हमारे पास तुलना का एक जनरल बेस हो. मेरी इंट्यूशन थी कि नकली दुनिया बनाम वास्तविक दुनिया में एक पैटर्न प्रदर्शित होना चाहिए, लेकिन मुझे नहीं पता था कि यह पैटर्न क्या था."
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