Banaras Lankakashi Chauraha: वाराणसी (बनारस) का लंका चौराहा एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के निकट स्थित है. इस चौराहे का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व काफी गहरा है, क्योंकि इसे एक ऐसे स्थान के रूप में देखा जाता है, जहां से जीवन के चार प्रमुख पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष) की ओर जाने वाले प्रतीकात्मक रास्ते शुरू होते हैं.


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धर्म:
लंका चौराहे से धर्म की ओर जाने वाला मार्ग आपको काशी विश्वनाथ मंदिर और अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों तक ले जाता है. काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी का प्रमुख शिव मंदिर है, जो लाखों भक्तों के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र है.


अर्थ:
अर्थ की दिशा में जाने वाला मार्ग वाराणसी के व्यापारिक और व्यावसायिक केंद्रों की ओर जाता है. वाराणसी अपनी सिल्क की साड़ियों, हस्तशिल्प, और अन्य व्यापारिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है. इस मार्ग पर व्यापारिक समुदाय और स्थानीय बाजारों की हलचल देखी जा सकती है.


काम:
काम का मार्ग जीवन की भौतिक इच्छाओं और सांसारिक गतिविधियों की ओर संकेत करता है. यह मार्ग व्यक्ति की सामान्य जीवन की आवश्यकताओं जैसे काम वासना और सुख-सुविधाओं की पूर्ति से जुड़ा है.


मोक्ष:
मोक्ष की ओर जाने वाला मार्ग मणिकर्णिका घाट की ओर जाता है. वाराणसी में मणिकर्णिका घाट को मोक्ष प्राप्ति का स्थल माना जाता है, जहां लोग अपने जीवन की अंतिम यात्रा के लिए आते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार, यहां मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.


लंका चौराहा और उसका प्रतीकात्मक महत्व:
लंका चौराहा इन चारों दिशाओं का संगम है, जो व्यक्ति के जीवन के चार महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर इशारा करता है. यह स्थान बनारस के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन का केंद्र भी है, और यहां से शहर के कई प्रमुख स्थलों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.


वाराणसी की गलियों और चौराहों का यह अद्वितीय संगम इसे एक ऐसे स्थल में बदलता है जहां से व्यक्ति अपने जीवन के विभिन्न लक्ष्यों की दिशा में अग्रसर हो सकता है.