MP की तेजतर्रार अफसर, जो साहसी फैसलों के चलते रहीं दरकिनार, IAS नेहा मारव्या भिड़ चुकी हैं कई सीनियर अफसरों से
IAS Neha Marvya: IAS नेहा मारव्या एक बार फिर से सुर्खियां बटोर रही हैं. 14 साल की नौकरी में उन्हें कभी कलेक्टर की पोस्ट नहीं मिली. चलिए जानते हैं ऑफिसर के सबसे चर्चित किस्से, जिसके चलते उन्हे इतना बड़ा खामियजा झेलना पड़ रहा है...
IAS Neha Marvya Best Example of Honesty And Conflict: मध्य प्रदेश की 2011 बैच की IAS अधिकारी नेहा मारव्या एक बार फिर से चर्चा में हैं. जानकारी के मुताबिक हाल ही में नेहा ने आईएएस एसोसिएशन के ग्रुप में एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें लिखा था कि पिछले 7 महीने से उनके पास कोई काम नहीं है, वह केवल ऑफिस से घर और घर से ऑफिस के चक्कर काट रही हैं. 14 साल की नौकरी में कलेक्टर बनने का मौका न मिलने और नौ महीने से बिना काम के बैठने की बात कहकर उन्होंने प्रशासनिक हलकों में बहस छेड़ दी है. उनकी जिंदगी में कई ऐसे विवादित मगर साहसी फैसले हैं, जो उन्हें प्रशासनिक गलियारों में अलग पहचान दिलाते हैं.
शिवपुरी कलेक्टर की गाड़ी का रोका बिल
नेहा मारव्या 2017 में शिवपुरी जिला पंचायत की सीईओ थीं. उन्होंने कलेक्टर की गाड़ी का बिल इसलिए रोका, क्योंकि यह तय राशि से ज्यादा था. इस साहसिक कदम ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया.
मुख्य सचिव के करीबी के खिलाफ जांच
नेहा ने मध्य प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद में एडिशनल सीईओ रहते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ फर्जीवाड़े की जांच शुरू की, जो तत्कालीन मुख्य सचिव के करीबी माने जाते थे.
सीएम के पीएस से भिड़ंत
नेहा ने तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव पर गेट आउट कहने का आरोप लगाया. इस विवाद ने प्रशासन में उनके संघर्ष की कहानी को और गहराई दी.
मंत्री से टकराव
तत्कालीन मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के साथ भी उनका विवाद हुआ, जब वह शिवपुरी के एक कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं.
नौकरशाही में ईमानदारी की मिसाल
नेहा मारव्या ने हमेशा ईमानदारी और नैतिकता को अपने प्रशासनिक फैसलों में प्राथमिकता दी है. यही वजह है कि वह सीनियर अधिकारियों के दबाव में आने के बजाय सही निर्णय लेने में विश्वास करती हैं.
बिना समझौता किए फैसले लेने की आदत
नेहा मारव्या अपने साहसिक और निष्पक्ष फैसलों के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने कई बार शक्तिशाली अधिकारियों और नेताओं के दबाव का सामना किया, लेकिन अपनी नैतिकता और ईमानदारी से कोई समझौता नहीं किया. उनकी यह आदत उन्हें प्रशासनिक हलकों में अलग पहचान दिलाती है.
सिस्टम में सुधार की उम्मीद
नेहा मारव्या का मानना है कि प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए ईमानदारी सबसे बड़ा हथियार है. वह चाहती हैं कि अफसरशाही में हर अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन पूरी ईमानदारी और निडरता के साथ करे. उनकी कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो सिस्टम में बदलाव लाना चाहते हैं.