IPS Sanjukta Parashar: अगर आपकी अपने काम को लेकर बेहतरीन छवि हैं, तो आप देश-दुनिया के किसी कोने से वास्ता रखते हो लाइमलाइट मिल ही जाती है. यूं तो हमारे देश में कई आईपीएस अफसर हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही ऐसे तेज-तर्रार हैं, जिनके नाम से क्रिमिनल खौफ खाते हैं. एक ऑफिसर से अपराधी जगल के लोगों के बीच डर का नाम बन जाने तक का सफर तय करना इतना आसान नहीं होता. खासतौर पर एक महिला अधिकारी के लिए, लेकिन उन्होंने एक मिसाल पेश की है.  


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इतना ही नहीं वह सिस्टम की दुहाई देने वाले देश के करप्ट ऑफिसर्स के लिए भी बड़ी नजीर पेश करती हैं. हम बात कर रहे हैं लेडी सिंघम IPS संजुक्ता पराशर के बारे में, संजुक्ता की सक्सेस स्टोरी लाखों युवाओं को प्रेरित करने वाली है. पढ़िए उनके करियर और IPS बनने के सफर के बारे में...


IPS पराशर रखती हैं इतनी डिग्रियां
आयरन लेडी के नाम से मशहूर IPS संजुक्ता पराशर का जन्म 3 अक्टूबर 1979 को असम में हुआ था. उनकी स्कूलिंग भी असम में ही हुई है. संजुक्ता ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया है. फिर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. इतना ही नहीं संजुक्ता ने यूएस फॉरेन पॉलिसी में एमफिल और पीएचडी की डिग्रियां भी हासिल की हैं. 


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UPSC में मिली थी ये रैंक
संजुक्ता पराशर 2006 बैच की असम-मेघालय कैडर की आईपीएस ऑफिसर हैं. उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम में 85वीं रैंक हासिल की थी. पराशर ने पुलिस एकेडमी में अपनी ट्रेनिंग के दौरान भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था, जिसके लिए उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. 


निडर आईपीएस ऑफिसर 
IPS संजुक्ता पराशर का पुलिस महकमे में बड़ा दबदबा है. लेडी सिंघम बदमाशों से सीधे भिड़ने का दम रखती हैं. साल 2015 में जब वह असम के जोरहाट जिले में एसपी पद पर तैनात थीं, तब एके 47 लेकर उग्रवादियों से लोहा ले चुकी हैं. 


कहलाती हैं एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
IPS संजुक्ता के साहसिक कामों के कारण असम के लोग उन्हें आयरन लेडी ऑफ असम कहते हैं, क्योंकि यहां आईपीएस ने ऐसी जगहों पर एनकाउंटर किया, जहां नॉर्मल ऑपरेशन करना भी मुश्किल हुआ करता था.


आईपीएस संजुक्ता ने सिर्फ 15 महीने में 16 एनकाउंटर करने का रिकॉर्ड बनाया है. तभी तो उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता है, तभी तो उनके नाम से ही बदमाश खौफ खाते है. बताया जाता है कि आईपीएस ने 64 से ज्यादा उग्रवादियों को गिरफ्तार किया था.


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जान से मारने की धमकी
बताया जाता है कि उन्हें असम के सक्रिय उग्रवादी समूहों से कई बार ऑफिसर को जान से मारने की धमकियां भी मिल चुकी हैं, लेकिन इसकी परवाह न करते हुए वह बेखौफ होकर देश के प्रति अपना फर्ज निभाती हैं.