Teacher in Delhi: कहते हैं कि धैर्य और साहस से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है. यह कहावत दिल्ली की एक दृढ़ निश्चयी महिला पर सटीक बैठती है, जिसने 12 साल की कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार सरकारी टीचर बनने का अपना सपना पूरा कर लिया.


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उनकी लड़ाई 2011 में तब शुरू हुई जब दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (DSSSB) ने पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स (PGT) के लिए वैकेंसी का विज्ञापन दिया. हरियाणा के सोनीपत की शबाना परवीन ने PGT इकोनॉमिक्स के पद के लिए आवेदन किया. परीक्षा पास करने के बावजूद, टेक्निकल आधार पर उनकी नियुक्ति रोक दी गई, जिसके बाद उन्हें कानूनी मदद लेनी पड़ी.


शबाना ने डीएसएसएसबी पीजीटी परीक्षा में छठा स्थान प्राप्त किया. हालांकि, जनरल कैटेगरी में केवल पांच वैकेंसी थीं. जब एक उम्मीदवार के वेरिफिकेशन में विसंगतियां पाई गईं, जिसके कारण उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया, तो शबाना पांचवें स्थान पर पहुंच गईं. इसके बावजूद, उनकी नियुक्ति की पुष्टि नहीं हुई.


शबाना ने डीएसएसएसबी के फैसले को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी और विजयी हुईं. इससे विचलित हुए बिना दिल्ली सरकार ने कैट के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिससे उनकी नियुक्ति में और देरी हुई.


दिल्ली उच्च न्यायालय ने शबाना के मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया कि वह 12 साल पहले इस पद के लिए योग्य थीं और उनकी नियुक्ति रोकने के लिए बताए गए कारण अवैध थे.


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न्यायमूर्ति सी हरिशंकर और न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि शबाना को पीजीटी इकोनॉमिक्स टीचर के रूप में नियुक्त किया जाए और उन्हें बीच के सालों के लिए देय वेतन प्रदान किया जाए. इसके अलावा, अदालत ने आदेश दिया कि शबाना को उनकी मूल योग्यता तारीख के अनुसार सीनियरिटी लिस्ट में रखा जाए.


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