IAS Ranu Sahu Coal Scam: रानू साहू का करियर उपलब्धियों, चुनौतियों और विवादों वाला रहा है. 2005 में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के रूप में शुरुआत करने के बाद, उन्होंने तेजी से तरक्की की और यूपीएससी परीक्षा पास करके 2010 में आईएएस अधिकारी के रूप में पद हासिल किया. हाल ही में, भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित एक साल की कैद के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के बाद वह फिर से लोगों के ध्यान में आईं.


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छत्तीसगढ़ की 2010 बैच की आईएएस अधिकारी साहू गरियाबंद जिले की रहने वाली हैं. अपनी एकेडमिक ब्रिलिएंश के लिए जानी जाने वाली साहू को उनकी क्षमता के लिए कम उम्र में ही पहचान मिल गई थी. पुलिस सेवा से मोटिवेट होकर, उन्होंने अपने कॉलेज के सालों के दौरान लॉ एनफोर्समेंट में करियर बनाने की तैयारी शुरू कर दी, फाइनली डीएसपी के रूप में शामिल हुईं. हालांकि, उनकी महत्वाकांक्षाएं बढ़ती गईं, जिससे उन्हें यूपीएससी परीक्षा देने का मन हुआ, जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक पास कर लिया. एक आईएएस अधिकारी के रूप में उनके करियर में कई क्षेत्रों में जिला कलेक्टर और राज्य कृषि विभाग के निदेशक के रूप में काम करना शामिल था.


डीएनए के मुताबिक, साहू का कार्यकाल विवादों से अछूता नहीं रहा. कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में अपने प्रभाव के लिए जानी जाने वाली साहू का राज्य मंत्री जयसिंह अग्रवाल के साथ एक हाई-प्रोफाइल विवाद था, जिन्होंने उनके खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी. कोयला घोटाले में उनकी संलिप्तता ने उनकी बदनामी को और बढ़ा दिया, जिसके कारण उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया.


कोयला घोटाले में अधिकारियों और व्यवसायियों का एक संगठित नेटवर्क शामिल था, जिन पर छत्तीसगढ़ में ट्रांसपोर्ट किए जाने वाले कोयले के प्रति टन 25 रुपये की जबरन वसूली करने का आरोप था. व्यापक ईडी छापों से घोटाले के पैमाने का पता चला, कथित तौर पर कुल 540 करोड़ रुपये से ज्यादा और इसमें राजनीतिक नेताओं, व्यापारियों और साहू जैसे सीनियर अधिकारियों समेत कई हाई-प्रोफाइल लोग शामिल थे. इस मामले के सिलसिले में उनकी गिरफ्तारी ने उनके करियर को चिह्नित करने वाले विवादों की सीरीज को और बढ़ा दिया.


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