IAS Shraddha Gome UPSC Success Story: यूपीएससी टॉपर्स को हमारे देश में प्रतिभा के प्रतीक माना जाता है. दरअसल, टॉपर्स अपने जीवन के हर पड़ाव में बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करते हैं, जिस वजह से वह अपने लोगों के लिए प्रेरणा का सोर्स बन जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही प्रेरणा की सोर्स आईएएस श्रद्धा गोमे के बारे में बताएंगे, जिन्होंने बिना कोचिंग के यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा ऑल इंडिया 60वीं रैंक के साथ क्रैक कर आईएएस का पद हासिल किया है. इसके अलावा श्रद्धा कक्षा 10वीं-12वीं की टॉपर रहने के साथ-साथ कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) की टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी हैं.


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दरअसल, श्रद्धा मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली हैं. उनके पिता रमेश कुमार गोमे एक रिटायर्ड SBI ऑफिसर हैं और उनकी मां वंदना एक गृहिणी हैं और वही श्रद्धा के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा हैं. उन्होंने इंदौर के सेंट राफेल एचएस स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की है. उन्होंने कक्षा 10वीं और 12वीं में टॉप किया है.


इसके बाद उन्होंने CLAT परीक्षा दी और वहां भी उन्होंने टॉप किया. उन्हें भारत के सबसे प्रतिष्ठित लॉ कॉलेजों में से एक, बैंगलोर में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU) में एडमिशन मिल गया. अपने कॉन्वोकेशन के दौरान, श्रद्धा ने तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा द्वारा प्रदान किए गए 13 गोल्ड मेडल जीते थे. 


इसके बाद, श्रद्धा ने लंदन और मुंबई में अपने प्रतिष्ठित यूनिलीवर फ्यूचर लीडर्स प्रोग्राम के हिस्से के रूप में कुछ समय के लिए हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के साथ एक लीगल मैनेजर के रूप में काम किया.


ग्रेजुएशन के बाद, श्रद्धा ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट लॉ को चुना. यूपीएससी की तैयारी के लिए श्रद्धा ने अपनी नौकरी छोड़ दी और बिना कोचिंग के परीक्षा की तैयारी करने लगी.


उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि वह शुरू से ही 9-10 घंटे पढ़ाई करती थीं. उन्होंने 2021 में यूपीएसई परीक्षा दी और अपने पहले प्रयास में ही ऑल इंडिया 60 रैंक के साथ इसे पास कर लिया.


एक इंटरव्यू में, उन्होंने अपनी यूपीएससी रणनीति का खुलासा किया. उन्होंने कहा "जब मैं यूपीएससी दे रही थी, तब भी मैंने फिल्में देखीं, अपनी पसंदीदा किताबें पढ़ीं, बैडमिंटन खेला और अपने परिवार के साथ समय बिताया. हां, जब मैं पढ़ने बैठती थी, तो मेरा पूरा ध्यान उसी पर होता था. तब मैं, न तो टीवी, न ही मोबाइल और न ही कुछ और देखती थी."