बेटियों के कहने पर 64 की उम्र में दी नीट यूजी परीक्षा, अब कर रहे MBBS, 1974 में सपना रह गया अधूरा, जो बनेगा हकीकत
NEET Success Story: सपनों को हकीकत में बदलने की कोई उम्र नहीं होती. ओडिशा के जय किशोर प्रधान ने 68 साल की उम्र में एमबीबीएस की पढ़ाई करके यह साबित कर दिया. पढ़िए प्रधान के सक्सेस होने की इंस्पायरिंग स्टोरी...
Jay Kishore Pradhan NEET Success Story: बढ़ती उम्र के साथ ज्यादातर लोग अपने सपने तो क्या अपनी रुचियों में भी दिलचस्पी लेना बंद कर देते हैं. हालांकि, कुछ लोगों के लिए ऐसी बातें बिल्कुल भी मायने नहीं रखती हैं. ओडिशा के रहने वाले जय किशोर प्रधान ने यह साबित कर दिखाया कि अपने सपनों को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती, क्योंकि वह अपने उस सपने को पूरा करने जा रहे हैं, जो उन्होंने अपनी यंग एज में देखा था.
जय ने उस उम्र में अपने सपने को हकीकत में बदलकर दिखाया है, जब आमतौर पर लोग रिटारमेंट के बाद की लाइफ को सुकून और आराम से बिताना पसंद करते हैं. चलिए आपको भी बताते हैं इनकी नीट सक्सेस जर्नी के बारे में...
नौकरी से रिटायरमेंट के बाद पढ़ाई
भारतीय स्टेट बैंक के डिप्टी मैनेजर पद से रिटायर जय किशोर प्रधान आजकल एमबीबीएस की पढ़ाई करने में व्यस्त हैं. उन्होंने अपने रिटारमेंट के बाद मेडिकल की पढ़ाई का सपना पूरा किया. इसकी भी एक कहानी है, क्योंकि जय किशोर प्रधान ने अपनी बेटियों के कहने पर ऐसा किया. इसके बाद 64 साल की उम्र में नीट यूजी 2020 परीक्षा दी और एमबीबीएस उन्हें में एडमिशन मिल गया.
1974 में पहली बार दी थी मेडिकल प्रवेश परीक्षा
जानकारी के मुताबिक जय किशोर ने 12वीं पास करके पहली बार मेडिकल प्रवेश परीक्षा साल 1974 में दी थी. हालांकि, तब वह यह एग्जाम क्लियर नहीं कर पाए थे, जिसके बाद उन्होंने फिजिक्स से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया. फिर उन्हें साल 1983 में एसबीआई में नौकरी मिल गई और फिर वह अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में बिजी हो गए. इसी के साथ डॉक्टर बनने का बचपन का सपना भी पीछे छूट गया. जय की दो जुड़वां बेटियां और एक बेटा है.
ऐसे मिला दोबारा मौका
दरअसल, पहले मेडिकल एट्रेंस एग्जाम में शामिल होने की अधिकतम उम्र 25 साल निर्धारित थी. इसके बाद साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, जिसमें मेडिकल प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए अधिकतम उम्र सीमा खत्म कर दी गई. इसके बाद अपनी बेटियों के कहने पर जयकिशोर प्रधान नीट यूजी परीक्षा 2020 में शामिल हुए और मेहनत की बदौलत अच्छी रैंक हासिल कर ली.
इसके बाद उन्हें एमबीबीएस में दाखिला मिला और वर्तमान में वह वीर सुरेंद्र साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (VIMSAR) में एमबीबीएस के स्टूडेंट हैं. अब वह डॉक्टर बनकर गरीबों खासतौर पर दिव्यांग व्यक्तियों की सेवा करना चाहते हैं. एमबीबीएस की पढ़ाई कंप्लीट होने तक प्रधान लगभग 70 साल के हो जाएंगे.