JEE Mains 2024: जेईई मेन्स 2024 (JEE Mains 2024) परीक्षा को लेकर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर गड़बड़ी का आरोप लगाए जाने का मामला सामने आया है. सोशल मीडिया पर लगातार मामले को तूल पकड़ता देख एनटीए ने अपनी बात रखी है. क्या वाकई जेईई मेन एग्जाम 2024 में गड़बड़ी हुई है? आइए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है... 


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दरअसल, आरोप लगाया गया है कि जेईई मेन्स 2024 में 12.2 लाख उम्मीदवारों में से लगभग 24 फीसदी को 27 जनवरी को फर्स्ट शिफ्ट (सुबह) में नहीं भेजा गया था, न ही 65 फीसदी उम्मीदवारों को एग्जाम के पहले दो दिनों की 4 शिफ्टों में विभाजित किया गया था. 13 फरवरी 2024 को परिणाम जारी होने के बाद से विभिन्न ऑनलाइन  प्लेटफार्मों जैसे यूट्यूब आदि पर कोचिंग सेंटरों, शिक्षकों और उम्मीदवारों ने दावा किया है कि ज्यादातर उम्मीदवारों की परीक्षा 27 और 29 जनवरी को आयोजित की गई थी.


क्या यह एनटीए की लापरवाही थी?
इससे लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह एनइवन अलॉटमेंट जानबूझकर कुछ हितों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था या फिर यह एनटीए की लापरवाही का नतीजा था? वहीं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए एनटीए पर एक और आरोप यह है कि इस तरह शिफ्ट में कैंडिडेट्स के अनइवन अलॉटमेंट से 27 और 29 जनवरी को आवंटित छात्रों को नुकसान हुआ है. 


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उम्मीदवारों के अलॉटमेंट से संबंधित डेटा का एनालिसिस करने पर सामने आया कि हर शिफ्ट में कुल रजिस्टर्ड कैंडिडेट्स का लगभग 9.9 से 10.3 फीसदी शामिल था. यह पैटर्न जेंडर-वाइस डिस्ट्रिब्यूशन में भी रहा. वही, 2 फरवरी को आयोजित फाइनल (10वीं) शिफ्ट में 9.6 फीसदी अभ्यर्थी शामिल हुए थे.


एक यू-ट्यूबर ने दावा किया कि एग्जाम के 27 जनवरी को फर्स्ट शिफ्ट में 23.8 फीसदी यानी कि 2.9 लाख उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया. इसके बाद उसी दिन सेकंड शिफ्ट में कथित तौर पर 15.9 फीसदी यानी 4.8 लाख थे, जो कुल पंजीकरण का लगभग 40 फीसदी है. 


इवन अलॉटमेंट सुनिश्चित किया गया
हालांकि, एनटीए के आंकड़ों के अनुसार पहली दो शिफ्टों में क्रमशः 1.22 लाख और 1.25 लाख उम्मीदवार थे, जो क्रमशः 10 और 10.3 फीसदी है. सोशल मीडिया पर हो रहे बवाल को देखते हुए शिफ्ट अलॉटमेंट के संबंध में एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह ने कहा, "तारीख/शिफ्ट/स्लॉट सामान्यीकरण प्रक्रिया के मुताबिक कंप्यूटर के जरिए रैंडमली अलॉट किए जाते हैं. यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक शिफ्ट न केवल उम्मीदवारों के संदर्भ में, बल्कि जेंटर और कैटेगरी-वाइस प्रतिनिधित्व में भी इवन अलॉटमेंट हो."


वहीं, सोशल मीडिया पर उम्मीदवारों और एकस्पर्ट्स का कहना है कि दूसरे दिन की शिफ्ट में भी अनइवन शिफ्ट अलॉटमेंट हुआ, जो क्रमशः 11 से 14 फीसदी और 14.5  से 17 फीसदी तक है. हालांकि, 29 जनवरी को डेटा कंसिस्टेंट रहता है, सुबह की शिफ्ट में यह 1.22 लाख (10 फीसदी) और दोपहर की शिफ्ट में 1.24 लाख (10.2 फीसदी) है.


कुछ उम्मीदवारों ने रि-टेस्ट की मांग की
इस हंगामे ने सोशल मीडिया पर तूल पकड़ लिया और कुछ उम्मीदवारों ने दोबारा परीक्षा की मांग कर दी. इस परसेप्शन से हुआ कि इन सभी चार शिफ्टों में छात्रों के एक बड़े ग्रुप ने टफ कॉम्पिटिशन के चलते कुछ उम्मीदवारों को नुकसान में डाल दिया है. सेम परसेंटाइल के लिए शिफ्टों के बीच अंकों के अंतर में पर्याप्त वृद्धि के बारे में चिंताएं व्यक्त की गईं, जो पहले 15 से 20 हुआ करती थी, लेकिन अब इस साल बढ़कर 70 से 80 हो गई है. इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक टीचर ने सवाल उठाया है कि कि क्या यह कोई गड़बड़ी हो सकती है, क्योंकि उम्मीदवार 140 अंकों के साथ भी 90 प्रतिशत अंक हासिल नहीं कर पा रहे हैं.


क्वेश्चन पेपर्स का रैंडम सिलेक्शन
एनटीए प्रत्येक पाली के लिए क्वेश्चन पेपर रखता है और शिफ्ट शुरू होने से लगभग 15-20 मिनट पहले रैंडम सिलेक्शन किया जाता है. सुबोध कुमार सिंह का कहना है, "क्वेश्चन पेपर के डिफिकल्टी लेवल में वेरिएशन मल्टी -शिफ्ट परीक्षा का एक इन्हेरेंट पार्ट है और इसलिए स्कोर निर्धारित करने के लिए नॉरमलाइजेशन पसंदीदा तरीका है. रॉ स्कोर और नॉर्मलाइज्ड स्कोर के बीच कोई डायरेक्ट इक्विलेंस नहीं है." एनटीए विशेषज्ञों के अनुसार इसका मतलब यह है कि एक विशिष्ट पाली में एक विशेष स्कोर जिसने 90 प्रतिशत अर्जित किया है, वह एक अलग पाली में समान प्रतिशत प्राप्त नहीं कर सकता है. 


नॉरमलाइजेशन प्रक्रिया
एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह ने कहा "नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस प्रतिशत स्कोर पर आधारित है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कठिनाई स्तरों में भिन्नता के कारण उम्मीदवारों को न तो अनफेयर फायदा हो और न नुकसान हो. यह मेथड आईआईटी, भारतीय सांख्यिकी संस्थान और भारतीय विज्ञान संस्थान की एक समिति की विशेषज्ञता का उपयोग करके डेवलप की गई थी. यह ग्लोबल स्टैडर्ड के अनुरूप है, जो जीआरई या जीमैट जैसी अंतरराष्ट्रीय परीक्षाओं में देखा जाता है. यहां तक ​​कि सीएसआईआर और रेलवे भर्ती बोर्ड जैसे संगठन भी इसे अपना रहे हैं." 


आंकड़ों के मुताबिक, 27 और 29 जनवरी की शिफ्ट में 14 उम्मीदवारों ने परफेक्ट 100 परसेंटाइल हासिल किया. बाकी छह शिफ्टों में 9 उम्मीदवारों ने 100 प्रतिशत अंक हासिल किए. इसके अलावा सभी पालियों में 99-100, 98-99, 97-98 या उससे नीचे प्रतिशत में स्कोर करने वाले उम्मीदवारों का प्रतिशत लगातार बना हुआ है, जो 9.3 से 10.3 फीसदी के बीच है.