IAS And IPS Officers Village In UP: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, जिसे क्रैक करने के लिए यूपीएससी एस्पिरेंट्स दिन-रात एक कर देते हैं. इस परीक्षा में उम्मीदवारों की लेखनी और पर्सनैलिटी दोनों को परखा जाता है. इसमें कामयाबी हासिल करने के लिए सही प्लानिंग और स्ट्रैटेजी होना जरूरी है.


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यूपीएससी की तैयारी के लिए ज्यादातर कैंडिडेट्स कोचिंग क्लासेस जॉइन करते हैं. वहीं,  उत्तर प्रदेश का एक गांव ऐसा है, जहां के युवा बिना कोचिंग सेंटर जाए ही यूपीएससी में सफलता हासिल कर रहे हैं. आइए जानते हैं इस यूपी के ऑफिसर्स विलेज के बारे में...


IAS, IPS की फैक्ट्री 
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के जौनपुर में स्थित एक छोटे से गांव माधोपट्टी की, जिसे आईएएस और आईपीएस ऑफिसर्स की फैक्ट्री भी कहा जाता है. यहां के ग्रामीणों ने सफलता की एक नई इबारत लिखी है. लखनऊ के पास महज 75 परिवारों वाले इस छोटे से गांव से अनेक आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसर निकले हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि गांव ने अब तक देश को कुल 47 सिविल सर्विस ऑफिसर्स दिए हैं. 


कब शुरू हुआ ये सिलसिला?
माधोपट्टी के युवाओं ने केवल सिविल सर्विस परीक्षा में ही सफलता झंडे नहीं गाड़े, बल्कि वे अपनी इसरो और इंटरनेशनल कोर्ट में भी अपनी सर्विस दे रहे हैं. इस सफर की शुरुआत 1914 में हुई थी, जब मुस्तफा हुसैन माधोपट्टी से सबसे पहले आईएएस अफसर बनकर निकले थे.  


इसके कुछ ही सालों 1951 में बाद इंदू प्रकाश ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएफएस कैडर हासिल किया. इतना ही नहीं उन्होंने सेंकड टॉपर की पोजिशन हासिल कर अपने गांव के नाम एक और गौरव किया.


वहीं, माधोपट्टी से तीसरा सिलेक्शन 1953 में हुआ. इस बाद दो कैंडिडेट्स विद्या प्रकाश और विनय प्रकाश ने यूपीएससी परीक्षा में क्वालिफाई कर आईएएस का पद हासिल किया था.इसके बाद साल 1964 में फिर से दो युवाओं ने अजय और छत्रपाल ने यूपीएससी में सफलता प्राप्त कर गांव का गौरव बढ़ाया. 


बिना कोचिंग पाई सफलता
माधोपट्टी में कोई कोचिंग सेंटर नहीं है. यहां के युवाओं ने अपनी लगन और मेहनत ने यूपीएससी समेत देश की दूसरी टफ परीक्षाओं में सफलता हासिल की है. कई लोग यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग क्लासेस को एक अहम फैक्टर मानते हैं. ऐसे में माधोपट्टी के युवाओं ने इस बात को सिरे से खारिज कर पूरे देश भर में अपने नाम के झंडे गाड़े हैं.