UP Primary teacher fake document: कहते हैं कि अगर पढ़ाई लिखाई की बुनियाद ही कमजोर निकले तो आगे क्या होने वाला है. आप उसका अंदाजा लगा सकते हैं. देश के सबसे बड़े सूबों में से एक उत्तर प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में फर्जीवाड़ा कर लोग प्राइमरी एजुकेशन का हिस्सा बन गए. वो स्कूलों में छात्रों को नैतिकता का पाठ भी पढ़ाते होंगे. लेकिन वो खुद अनैतिक निकले. दूसरे की मार्कशीट पर वो नौकरी करते रहे. जब फर्जीवाड़े की शिकायत मिली तो यूपी सरकार ने जांच एसटीएफ को सौंपी. एसटीएफ ने गहराई से जांच करने के बाद 382 शिक्षकों की सेवा समाप्त यानी बर्खास्त करने की सिफारिश की है. 


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देवरिया जिले में सबसे अधिक फर्जी शिक्षक

अब आपको बताएंगे यूपी के वो कौन से जिले हैं जहां सबसे अधिक फर्जीवाड़ा के मामले सामने आए हैं और एसटीएफ ने बर्खास्त करने की सिफारिश की. इसमें देवरिया के 52 शिक्षक, मथुरा के 43, सिद्धार्थनगर के 29 शिक्षक हैं. एसटीएफ का कहना है कि और जिलों के बारे में भी जानकारी जल्द दी जाएगी. एसटीएफ का कहना है कि मामला बेहद संवेदनशील है लिहाजा जांच प्रक्रिया को सावधानी से आगे बढ़ाया जा रहा है. हमारी कोशिश है कि जिन शिक्षकों के बारे में शिकायत मिली है उनके संबंध में पुख्ता तौर पर जांच की जाए. ताकि अगर वे अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं तो हमारा पक्ष कमजोर ना साबित हो.


करीब 50 हजार प्राइमरी शिक्षकों पर शक

एसटीएफ कहना है कि प्राइमरी स्कूल के जिन शिक्षकों की बर्खास्तगी की सिफारिश की गई है वो पिछले साढ़े तीन साल में नौकरी में आए. ये शिक्षक फर्जी दस्तावेज के जरिए नौकरी पाने में कामयाब हुए. जांच एजेंसी का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में जालसाजी के जरिए नौकरी पाने वाले शिक्षकों की संख्या 50 हजार के करीब है. ये वो शिक्षक हैं जो दूसरों की मार्कशीट लगाकर नौकरी हासिल करने में कामयाब हुए और वर्षों से नौकरी कर रहे हैं. एसटीएफ ने प्रदेश के 48 जिलों में फर्जीवाड़े के दोषी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए खत लिखा है.