IAS Manisha Dharve: विंस्टन चर्चिल की मशहूर लाइन 'सफलता उत्साह खोए बिना असफलता से असफलता की ओर बढ़ते रहने में निहित है' IAS मनीषा धारवे की कड़ी मेहनत को परिभाषित करने के लिए एक सटीक लाइन है. 23 साल की मनीषा धारवे खरगोन के झिरनिया ब्लॉक के बोंदरन्या गांव की रहने वाली हैं. मनीषा धारवे ने अपने चौथे अटेंप्ट में UPSC 2023 में 257वीं रैंक हासिल कर सफलता हासिल की.


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जहां दूसरे लोग हार मान लेते, वहीं मनीषा न तो डगमगाई और न ही थकीं. उसे अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा था और आज वह एक गौरवान्वित अधिकारी के रूप में खड़ी है. मनीषा की शुरुआती पढ़ाई बोंडारन्या गांव की एक आंगनवाड़ी में शुरू हुई. उनके पिता गंगाराम धारवे, जो एक इंजीनियर थे, ने बड़े शहर में नौकरी करने का फैसला नहीं किया, बल्कि बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने गांव लौट आए. उन्होंने और उनकी पत्नी जमना धारवे, जो सरकारी स्कूलों में पढ़ाती थीं, ने सुनिश्चित किया कि मनीषा को स्थानीय लेवल पर ही शिक्षा मिले.


मनीषा हमेशा से ही एक होनहार छात्रा थीं. उन्होंने 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से की और 10वीं और 12वीं की पढ़ाई खरगोन के स्कूलों से की. उसने 12वीं कक्षा के लिए मैथ और साइंस सब्जेक्ट चुने, लेकिन हमेशा से ही वह एक अधिकारी बनने की ख्वाहिश रखती थीं.


मनीषा ने 10वीं की परीक्षा में 75 फीसदी और 12वीं की परीक्षा में 78 फीसदी नंबर प्राप्त किए. इसके बाद उन्होंने इंदौर के होलकर कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीएससी की. ग्रेजुएशन करने के बाद, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया और अपने माता-पिता से दिल्ली जाने की अनुमति मांगी. शुरू में, उनका परिवार हिचकिचा रहा था, लेकिन आखिरकार वे मान गए.


अपनी कड़ी मेहनत के बावजूद मनीषा अपने पहले प्रयास में असफल हो गई और उन्हें दिल्ली से अपने गांव लौटना पड़ा. उन्होंने कई असफलताओं और तीन असफल अटेंप्ट का सामना करते हुए प्रयास जारी रखा. इस दौरान, उसने दूसरों की आलोचना को सहन किया, लेकिन इसे अनदेखा किया और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहीं. उनकी दृढ़ता का फल उन्हें तब मिला जब उसने 2023 में यूपीएससी परीक्षा पास की. मनीषा की कहानी दृढ़ संकल्प और फ्लेक्सिबिलिटी का प्रमाण है, जो दर्शाती है कि अटूट प्रयास और आत्मविश्वास से सफलता प्राप्त की जा सकती है, चाहे कितनी भी बाधाएं क्यों न हों.


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