IIT Research Impact: आईआईटी दिल्ली का भारत में टॉप स्थान पर पहुंचना क्यूएस रैंकिंग द्वारा मूल्यांकन किए गए कई प्रमुख मापदंडों में अहम सुधारों की वजह संभव हुआ है
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QS Asia University Rankings: क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में भारतीय विश्वविद्यालयों में आईआईटी-दिल्ली ने टॉप स्थान हासिल किया है. आईआईटी दिल्ली अब 44वें स्थान पर है. जोकि 2024 की रैंकिंग में 46 वें स्थान पर था. वहीं आईआईटी बॉम्बे 8 पायदान नीचे खिसक गया है. अब यह 48 वें स्थान पर है. जबकि 2024 में ये 40वें स्थान पर था. एशिया के टॉप 100 में 6 भारतीय यूनिवर्सिटी शामिल हैं.
आईआईटी दिल्ली की इस रैंकिंग के पीछे मुख्य कारक हैं किए गए रिसर्च का प्रभाव, बढ़ी हुई एकेडमिक प्रतिष्ठा और पीएचडी धारक इसके फैकल्टी का बढ़ता अनुपात. आईआईटी-दिल्ली के रैंकिंग सेल के प्रमुख और नियोजन के डीन प्रोफेसर विवेक बुवा ने कहा, "टेक एडवांसमेंट, स्टार्टअप और समाज की मदद करने वाली समस्याओं को हल करने पर बहुत जोर दिया जा रहा है."
आईआईटी-दिल्ली को टॉप पर पहुंचाने के लिए रिसर्च और ग्लोबल टाइ-अप जरूरी हैं.
आईआईटी दिल्ली के बाद , आईआईटी बॉम्बे भारतीय संस्थानों में दूसरे स्थान पर है, जिसने 48वां स्थान हासिल किया है - हालांकि पिछले साल की तुलना में यह आठ पायदान नीचे गिरा है. कई अन्य भारतीय संस्थानों ने भी रैंकिंग में शानदार प्रदर्शन किया, हालांकि कई में मामूली गिरावट देखी गई. आईआईटी मद्रास 53वें से 56वें स्थान पर आ गया, आईआईएससी बैंगलोर 58वें से 62वें स्थान पर आ गया और आईआईटी कानपुर पिछली बार के मुकाबले 63वें से 67वें स्थान पर आ गया.
आईआईटी दिल्ली का भारत में टॉप स्थान पर पहुंचना क्यूएस रैंकिंग द्वारा मूल्यांकन किए गए कई प्रमुख मापदंडों में अहम सुधारों की वजह संभव हुआ है. इस सफलता को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख कारकों में से एक 'पर पेपर साइटेशन' में इसका प्रदर्शन था, जो एक ऐसा मीट्रिक है जो मापता है कि प्रत्येक पब्लिश रिसर्च पेपर को प्राप्त होने वाले साइटेशन की एवरेज नंबर को मापकर रिसर्च प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है. 'पेपर/ पब्लिकेशन पर फेकल्टी' भी एक अहम संकेतक है जिसमें संस्थान ने 100 में से 95 नंबर प्राप्त किए हैं. लगभग 640 नियमित संकाय पदों की कुल संख्या के साथ, संस्थान ने प्रति वर्ष प्रति संकाय औसतन सात प्रकाशन बनाए रखे हैं.
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