ट्रक के पीछे लिखे Use Dipper at Night का है Condom के ऐड से कनेक्शन, जानें इसकी दिलचस्प स्टोरी
Use Dipper at Night: ट्रकों के पीछे लिखे Use Dipper at Night को देखकर अक्सर लोग सोचते हैं कि यह एक ड्राइविंग संबंधी निर्देश है, लेकिन इसका कनेक्श सुरक्षित यौन संबंधों के प्रति जागरूकता फैलाने से है.
Use Dipper at Night: सड़क पर चलते हुए आपने कई बार ट्रक या पिकअप के पीछे "Use Dipper at Night" लिखा देखा होगा. इस लाइन का सीधा मतलब होता है कि रात के समय तेज रोशनी वाले डिपर का ना इस्तेमाल करें ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी लाइन का इस्तेमाल टाटा मोटर्स ने एक खास तरह के ऐड कैंपेन के लिए भी किया था?
क्या था इस ऐड कैंपेन का मकसद?
यह ऐंड 'कंडोम' का था, जिसे ट्रक चालकों के बीच एड्स और सुरक्षित यौन संबंधों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था. यह अभियान टाटा मोटर्स और Rediffusion Y&R ने मिलकर चलाया था. वहीं, इसके लिए कंडोम HLL लाइफकेयर द्वारा बनाया गया था.
दरअसल, ट्रक चालक अधिकतर समय घर से दूर और लंबी यात्राओं पर रहते हैं. ऐसे में असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से उन्हें HIV और अन्य यौन संचारित रोगों का खतरा अधिक होता है.
डिपर कंडोम – ट्रक ड्राइवर्स के लिए स्पेशल कंडोम
यह कंडोम खासतौर पर ट्रक चालकों को ध्यान में रखकर बनाया गया था और इसे "डिपर कंडोम" नाम दिया गया. इसकी कीमत मात्र 3-4 रुपये थी ताकि ट्रक ड्राइवर्स आसानी से इसे खरीद सकें.
इसे साल 2016 में लॉन्च किया गया था और इसकी पैकेजिंग भी ट्रकों पर बने आर्टवर्क से प्रेरित थी, ताकि यह उनके लिए आकर्षक बने. शुरुआत में इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला, और 15 दिनों में ही लगभग 45,000 डिपर कंडोम बिक गए.
कैसे की गई जागरूकता की पहल?
डिपर कंडोम को सीधे दुकानों पर ही नहीं बल्कि आउटरीच वर्कर्स के जरिए ट्रक चालकों तक पहुंचाया गया. ये वर्कर्स ट्रक ड्राइवर्स को कंडोम के फायदों और सुरक्षित यौन संबंध के महत्व के बारे में जागरूक करते थे. इन प्रयासों का उद्देश्य था कि ट्रक चालकों में सुरक्षित यौन संबंध को लेकर समझ बढ़े, जिससे HIV और अन्य बीमारियों के खतरे को कम किया जा सके.
अभियान की शुरुआती सफलता और अंत
हालांकि डिपर कंडोम को ट्रक ड्राइवर्स के बीच अच्छी प्रतिक्रिया मिली, लेकिन यह ब्रांड ज्यादा समय तक बाजार में नहीं टिक पाया. कुछ सालों बाद इसे बंद कर दिया गया. इस अभियान की खास बात यह थी कि इसके लिए किसी प्रकार का परंपरागत विज्ञापन या मीडिया प्रचार का इस्तेमाल नहीं किया गया.