Financial Education in Schools: स्कूल से ही बच्चों फाइनेंशियल एजुकेशन देने के क्या हो सकते हैं फायदे?
Need for Financial Education: ज़्यादा चिंताजनक बात यह है कि आजकल युवाओं को स्कूलों में बुनियादी बचत और बजट के अलावा बहुत कम सिखाया जाता है.
Importance of Financial Education in Schools: ऐसी दुनिया में जहां फाइनेंशियल डिसिजन पर्सनल सक्सेस के लिए जरूरी हैं, फाइनेंशियल लिटरेसी के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता. फिर भी, इसकी अहम भूमिका के बावजूद, भारत में फाइनेंशियल लिटरेसी चिंताजनक रूप से कम बनी हुई है.
भारतीय आबादी का 76 प्रतिशत हिस्सा वित्तीय रूप से निरक्षर है, और केवल 4.2 फीसदी के पास एडवांस्ड फाइनेंशियल नॉलेज है. आबादी का एक बड़ा हिस्सा फाइनेंशियल लॉस के प्रति संवेदनशील है, जिसमें भारी कर्ज और पैसा कमाने के अवसरों में कम निवेश शामिल है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI), और राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा केंद्र (NCFE) सभी ने युवा लोगों के बीच फाइनेंशियल लिटरेसी में सुधार के महत्व को पहचाना है. हाल के सालों में भी, RBI और NCFE ने स्कूली बच्चों के बीच फाइनेंशियल जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रोग्राम शुरू किए हैं. हालांकि, फाइनेंशियल लिटरेसी को स्कूली सिलेबस का अनिवार्य हिस्सा बनाए बिना इसका प्रभाव सीमित ही रहता है.
अंतरराष्ट्रीय लेवल पर, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों ने अपने नेशनल करिकुलम में वित्तीय साक्षरता को अनिवार्य बना दिया है. भारत को भी ऐसा ही दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आने वाली पीढ़ियां आधुनिक जीवन की आर्थिक वास्तविकताओं का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हों.
स्कूलों में फाइनेंशियल लिटरेसी सिखाना सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक मजबूरी होनी चाहिए. अब समय आ गया है कि युवाओं को वे स्किल सिखाए जाएं जिनकी उन्हें अपने वित्तीय भविष्य को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए जरूरत है.'
शुरुआत करने के लिए कभी भी देर नहीं होती
स्कूलों में फाइनेंशियल लिटरेसी शुरू करने से ज़िम्मेदारी से पैसे का मैनेजमेंट करने की नींव रखने में मदद मिलती है. बच्चों को कम उम्र में ही बजट बनाने, बचत करने और निवेश करने की आदत डाल दी जाती है, जिससे उनके युवा होने तक अच्छी वित्तीय आदतें विकसित होने की संभावना अधिक होती है.
छात्रों को पर्सनल फाइनेंस को जिम्मेदारी से संभालना, यहां तक कि अपने मंथली अलाउंस मैनेज करना सिखाना, उन्हें जीवन में बाद में बड़े वित्तीय फैसलों के लिए तैयार करता है. वे इच्छाओं और ज़रूरतों के बीच अंतर करना सीखते हैं, उचित खर्च करने की आदतों को बढ़ावा देते हैं और पैसे के मूल्य के लिए प्रशंसा करते हैं.
क्या छात्र वे फाइनेंशियल स्किल सीख रहे हैं जिनकी उन्हें सचमुच आवश्यकता है?
इससे भी ज़्यादा चिंताजनक बात यह है कि आजकल युवाओं को स्कूलों में बुनियादी बचत और बजट के अलावा बहुत कम सिखाया जाता है. हालांकि ये जरूरी हैं, लेकिन ये फाइनेंशियल लिटरेसी की शुरुआत मात्र हैं. स्टूडेंट्स को प्रक्टिकल एप्लिकेशन्स सीखने की जरूरत है:
अपने फाइनेंशनयल टारगेट्स के मुताबिक कैरियर ऑप्शन कैसे सर्च करें,
क्रेडिट मैनेज कैसे करें,
जटिल वित्तीय उत्पादों को कैसे समझें.
इन स्किल्स के साथ, वे आत्मविश्वास के साथ एडल्टहुड में एंटर कर सकते हैं और रीयल वर्ल्ड की फाइनेंशियल जिम्मेदारियों को संभालने के लिए तैयार हो सकते हैं.
आगे की राह: फाइनेंशियल लिटरेसी को मिडिल स्कूल से ही स्कूली करिकुलम का मुख्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए.
1. करिकुलम इंटीग्रेशन: फाइनेंशियल लिटरेसी को एक अलग सब्जेक्ट नहीं होना चाहिए बल्कि इसे गणित, सामाजिक अध्ययन और अर्थशास्त्र जैसे मौजूदा विषयों में इंटीग्रेशन किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, ब्याज कैलकुलेशन, बजट और टैक्स जैसी एप्लिकेशन्स को मैथ्स के चेप्टर में पढ़ाया जा सकता है.
2. प्रक्टिकल एजुकेशन: स्कूलों को प्रक्टिकल लर्निंग एक्सपीरिएंस को मोटिवेट करना चाहिए, जैसे कि स्टॉक ट्रेडिंग, बजट बनाने की प्रक्टिस और बचत कंपटीशन.
3. टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम: फाइनेंशियल एप्लिकेशन्स को प्रभावी ढंग से पढ़ाने के लिए टीचर्स को नॉलेज से लैस करने के लिए खास टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाए जाने चाहिए.
जिम्मेदारी और इंडिपेंडेंसी के लिए टूल
फाइनेंशियल लिटरेसी सिखाना सिर्फ़ संख्याओं और फाइनेंशियल टर्मिनोलॉजी के बारे में नहीं है; यह युवा मन में ज़िम्मेदारी की भावना पैदा करने के बारे में है. पैसे को जिम्मेदारी से प्रबंधित करना सीखने से छात्रों पर बहुत असर पड़ सकता है, जिससे वे जीवन के दूसरे क्षेत्रों में भी बेहतर फ़ैसले लेने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं.
चाहे वह जिम्मेदारी से कर्ज का मैनेजमेंट करना हो या इंपल्ज बाइंग से बचना हो, फाइनेंशियल लिटरेसी युवा लोगों को ऐसी आदतें डेवलप करने में मदद करती है जो एडल्टहुड में फाइनेंशियल लिटरेसी और सफलता में योगदान देती हैं. सभी फील्ड के लीडर्स और प्रोफेशनल्स को यह समझना चाहिए कि आज के आर्थिक परिदृश्य में न केवल जीवित रहने के लिए, बल्कि फलने-फूलने के लिए फाइनेंस को कैसे संभालना है.
भविष्य की समृद्धि की कुंजी
फाइनेंशियल लिटरेसी अब एक विलासिता या पारंपरिक शिक्षा का एक अतिरिक्त हिस्सा नहीं रह गई है; यह एक जरूरत बन गई है. स्टूडेंट्स को उनके अलाउंस का मैनेजमेंट करने में मदद करने से लेकर चक्रवृद्धि ब्याज के फायदों को समझने तक, फाइनेंशियल लिटरेसी में एक मजबूत बेस युवाओं के जीवन भर पैसे के प्रति अप्रोच को बदल सकता है.
जैसे-जैसे भारत ग्लोबल इकोनॉमिक लीडर बनने की ओर बढ़ रहा है, फाइनेंशियल वर्ल्ड में आगे बढ़ने के लिए अपने युवाओं को नॉलेज और स्किल से लैस करना जरूरी होगा. हमारे देश के भावी नेताओं को न केवल बड़े सपने देखने चाहिए, बल्कि उन सपनों को हकीकत में बदलने के लिए फाइनेंशियल कैपेसिटी भी होनी चाहिए.
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