Success Story of Hemat Kumar: एक मनरेगा मजदूर के बेटे ने उस समय पूरे देश को हैरान कर दिया, जब यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में चयनित 1016 कैंडिडेट्स में उसका भी नाम शामिल था. हरियाणा के लाल 23 वर्षीय हेमंत ने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सेल्फ स्टडी के दम पर सफलता हासिल की हैं. यहां पढ़िए उनकी सफलता की कहानी...


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यह यूपीएससी की परीक्षा में उनका दूसरा प्रयास से. इस बार उन्होंने अपनी सभी रुकावटों को पार करके अपने दृढ़ संकल्प और लगन से इतने प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता पाई. उन्होंने अपनी गरीबी को हराकर अपनी कहानी खुद लिखी है. 


ऐसे बना सिविल सेवा में जाने का रास्ता


यूपीएससी 2023 की परीक्षा में 884 रैंक हासिल करने वाले हेमंत हरियाणा के सिरसा के रहने वाले हैं. हालांकि, मूल रूप से वह राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के बीरेन गांव से आते हैं. हेमंत के पिता पुजारी हैं और उनकी मां मनरेगा योजना के तहत दिहाड़ी मजदूरी का काम करती हैं. इस तरह उनके परिवार का खर्च चलता है. हेमंत की सिविल सेवा परीक्षा तक जाने का रास्ता उनकी मां के काम से जुड़ा हुआ है. 


मां करती हैं दिहाड़ी का काम


हेमंत कभी यह भी नहीं जानते थे कि कलेक्टर जैसा भी कोई पद होता है और वह भी इतनी पावरफुल. मीडिया को अपनी संघर्ष की दास्ता सुनाने हुए हेमंत ने बताया था कि सबसे पहली बार उन्होंने कलेक्टर शब्द ही उस समय सुना, जब उनकी मां और मनरेगा अधिकारी की वेतन को लेकर बहस हुई थी. तभी से उनके मन में जिला मजिस्ट्रेट बनने का विचार आया था. इसके बाद हेमंत ने कलेक्टर बनने की पूरी प्रक्रिया के बार में पता लगाया, जो उन्हें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा तक ले गया. यहां से हेमंत ने जिला मजिस्ट्रेट बनना की तय किया था. 


सेल्फ स्टडी के दम पर हासिल की सफलता 


हेमंत ने अपनी ग्रेजुएसन की पढ़ाई के दौरान की अपनी यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी. पहले अटैम्प्ट में हेमंत ने प्रीलिम्स तो निकाल लिया, लेकिन मेन्स में रह गए. उनके पास यूपीएससी की कोचिंग जॉइन करने तक के पैसे नहीं थे, लेकिन कड़ी मेहनत की बदौलत 2023 में दूसरी बार यूपीएससी की परीक्षा दी और 884वीं रैंक हासिल की. हेमंत ने हिंदी मीडियम से अपनी पढ़ाई की है.  यूपीएससी की तैयारी में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने मंजिल पाने तक हार नहीं मानी.