How Frogs Drink Water: दुनिया में लाखों जीव-जंतु हैं, और हर जीव से जुड़े कुछ न कुछ रोचक तथ्य होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा जीव भी है जो पानी पीने के लिए अपने मुंह का उपयोग नहीं करता? यह जीव है मेंढक. मेंढक, अन्य जानवरों की तरह, पानी पर निर्भर तो है, लेकिन इसे पीने के लिए वह अपनी चमड़ी का इस्तेमाल करता है.


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मेंढक कैसे पीता है पानी?
मेंढक अपने पेट और जांघ के निचले हिस्से की विशेष चमड़ी, जिसे "ड्रिंकिंग पैच" कहा जाता है, के जरिए पानी सोखता है. यह चमड़ी सेमी-पर्मियेबल होती है, जिसका मतलब है कि यह केवल पानी और कुछ जरूरी तत्वों को शरीर में प्रवेश करने देती है. इस अद्भुत प्रक्रिया की वजह से मेंढक को मुंह से पानी पीने की जरूरत नहीं पड़ती.


पानी सोखने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
मेंढकों के पानी सोखने की इस प्रक्रिया को "ऑसमोसिस" कहा जाता है. ऑसमोसिस के जरिए मेंढक पानी के साथ-साथ ऑक्सीजन और नमक जैसे आवश्यक तत्वों को भी अपने शरीर में समाहित कर लेता है. यह प्रक्रिया पौधों की जड़ों के पानी सोखने की प्रणाली जैसी होती है.


मेंढकों पर जल प्रदूषण का असर
ऑसमोसिस प्रक्रिया के कारण मेंढकों पर जल प्रदूषण का सीधा प्रभाव पड़ता है. जब मेंढक दूषित पानी सोखते हैं, तो गंदगी और हानिकारक रसायन उनके शरीर में चले जाते हैं. यह उनकी सेहत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है और कई बार उनकी मौत का कारण भी बनता है.


चमड़ी के जरिए पानी पीने के फायदे
मेंढकों की यह विशेषता उन्हें पानी में रहने वाले अन्य जीवों से अलग बनाती है. इस प्रक्रिया के जरिए वे ज्यादा ऊर्जा खर्च किए बिना अपनी जरूरतें पूरी कर लेते हैं. साथ ही, इससे उनका शरीर पूरी तरह हाइड्रेटेड रहता है.


मेंढक: प्रकृति का अनोखा जीव
मेंढक की यह विशेषता बताती है कि प्रकृति ने हर जीव को उसके अनुकूल ढालने के लिए कितनी अद्भुत संरचना दी है. चमड़ी के जरिए पानी पीने की क्षमता न केवल मेंढक के जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें भी प्रकृति की अनोखी रचनाओं के बारे में जानने का मौका देती है.