World Sanskrit Day 2024: संस्कृत सबसे प्राचीन भारतीय भाषा है. सनातन धर्म के वेद, पुराण, ग्रंथ, काव्य और उपनिषद आदि सभी की रचना संस्कृत भाषा में ही की गई है. बेशक भारतीय अपनी इस सबसे प्राचीन भाषा से दूर होते जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह से हमारी संस्कृति को पूरे विश्व ने अपनाया है, उसी तरह से अब संस्कृत भाषा की डंका भी दुनिया भर में बज रहा है. आज, 19 अगस्त को रक्षाबंधनके साथ ही विश्व संस्कृत दिवस 2024 मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर संस्कृत और संस्कत प्रेमियों को बढ़ावा देना है. 


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आज के समय में सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में क्लास 6 या 8 तक संस्कृत पढ़ाई जाती है. वहीं, भारत के कुछ स्कूलों में 10वीं बोर्ड परीक्षा तक संस्कृत विषय लेने की चॉइस होती है. ऐसे स्टूडेंट्स जो इस विषय में दिलचस्पी रखते हैं या जिनकी संस्कृत भाषा और इसकी ग्रामर पर अच्छी पकड़ होती है, वो आगे जाकर कॉलेज में संस्कृत में ही डिग्री भी पूरी करते हैं. भारत के अलावा विदेशों में भी ऐसे संस्कृत प्रेमी मिलते हैं, तो इससे जुड़े कोर्स में एडमिशन लेते हैं.


ये विदेशी विश्वविद्यालय कराते हैं कोर्स
जर्मनी, यूरोप और अमेरिका जैसे दुनिया के बड़े-बड़े देशों में की यूनिवर्सिटी में संस्कृत भाषा से जुड़े कोर्स ऑफर किए जा रहे हैं. ऐसे लोग जो संस्कृत में खास दिलचस्पी रखते हैं और आगे जाकर इसी क्षेत्र में विदेश में करियर बनाना चाहते हैं, वे इन यूनिवर्सिटीज में पढ़ सकते हैं.


यूरोप
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (यूके)
हाइडेलबर्ग यूनिवर्सिटी (जर्मनी)
पेरिस यूनिवर्सिटी (फ्रांस)


अमेरिका
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी
कोलंबिया यूनिवर्सिटी
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले


एशिया
टोक्यो यूनिवर्सिटी (जापान)
सिंगापुर यूनिवर्सिटी


ये हैं देश की टॉप संस्कृत यूनिवर्सिटी
भारत में कई ऐसी यूनिवर्सिटी हैं, जो संस्कृत भाषा से जुड़े यूजी और पीजी कोर्सेस ऑफर करती हैं. 


  • केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ

  • श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय

  • संस्कृत महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय

  • संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय

  • राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय

  • उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय


विश्व संस्कृत दिवस मनाने का उद्देश्य
देश और दुनिया भर में संस्कृत भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देना
बड़े स्तर पर संस्कृत सीखने और इसमें युवाओं को अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करना
प्राचीन भारतीय ग्रंथों और पांडुलिपियों का संरक्षण करना
संस्कृत विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है.