निजाम ने पहनकर जो उतार दी, उसे बेचकर रातों-रात अमीर बना नौकर, हीरे का हार नहीं बल्कि ये थी वो चीज
GK Quiz in Hindi: आपने बहुत से राजाओं और निजामों के बारे में सुना होगा. लेकिन क्या आपने उस नौकर के बारे में कभी जाना है, जिसने बड़ी चालाकी से निजाम की पहनी हुई चीज को बेच कर खूब सारी दौलत हासिल की और रातोंरात अमीर बन गया.
GK Quiz from history: हैदराबाद के जगमगाते दरबारों से एक ऐसी कहानी निकलकर आई है, जिसे सुनकर आप विश्वास ही नहीं करेंगे. ये कहानी एक साधारण नौकर की है जो पुराने मोजे बेचकर रातोंरात अमीर बन गया. लेकिन ये कोई साधारण मोजे नहीं थे. ये मोजे हैदराबाद के छठे निज़ाम मीर महबूब अली खान के थे, जिन्हें अपने समय के सबसे धनी लोगों में से एक माना जाता था.
मीर महबूब अली खान 5 फरवरी, 1884 को अपने पिता की मृत्यु के बाद दो साल और सात महीने की छोटी उम्र में गद्दी पर बैठे. उनकी युवावस्था के कारण, एक रीजेंसी काउंसिल ने ब्रिटिश सुपरविजन में शासन किया जब तक कि महबूब अली खान वयस्क नहीं हो गए. मीर महबूब की शिक्षा असाधारण थी, क्योंकि वे अपने परिवार में वेस्टर्न एजुकेशन पाने वाले पहले व्यक्ति थे. 18 साल की उम्र तक, उन्होंने गद्दी पर पूरा कंट्रोल ले लिया. जब हैदराबाद में उनका भव्य राज्याभिषेक हुआ तब उसमें ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड रिपन भी शामिल हुए.
महबूब अली खान के पास अकूत संपत्ति थी, लेकिन उनकी रुचियां धन-दौलत से परे थीं. वह एक विद्वान कवि थे, उर्दू, अरबी और फारसी में पारंगत. वह अक्सर बड़ी-बड़ी महफिलों में अपनी कविताएं सुनाते थे. शिकार के प्रति उनके जुनून ने उन्हें 'तीसमार खान' उपनाम दिलाया. यह उपनाम उन्हें 30 बाघों को मारने के बाद मिला था.
नौकर के अमीर बनने की कहानी :
हेरिएट रॉनकेन लिंटन और मोहिनी राजन की किताब DAYS OF THE BELOVED में ऐसा बताया गया है कि महबूब अली खान फ्रांसीसी फैशन और जीवनशैली के दीवाने थे. विलासिता में उनकी लिप्तता की कोई सीमा नहीं थी. उनके मोजे भी फ्रांस से ही मंगाए जाते थे, जिन्हें वो मात्र एक बार इस्तेमाल करके फेंक देते थे.
निजाम का एक नौकर, निजाम की इस आदत पर लंबे समय से नजर रख रहा था. उसने इन बेकार मोजों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया. खूब सारे मोजे इकट्ठा करने के बाद, उसने उन्हें बाजार में बेचने की कोशिश की. लेकिन निजाम के पैर इतने छोटे थे कि वो मोजे बिके नहीं. लेकिन निजाम का नौकर निराश नहीं हुआ. उसने एक दूसरी योजना बनाई. उसने मोजों को ड्राई क्लीन करवाया और उन पर फ्रांस से आने वाले नए मोजे का लेबल लगा दिया और उसने इन मोजों को बाजार में नहीं, बल्कि निजाम को ही नए स्टॉक के रूप में बेच दिया. महबूब अली खान ने अनजाने में ही अपने पुराने मोजों के लिए बड़ी कीमत दी, जिससे नौकर रातों-रात अमीर हो गया.
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महबूब अली खान की संपत्ति और ऐशो आराम किसी से छिपी नहीं थी और इस धन दौलत के पीछे गोलकुंडा की खदानें मुख्य वजहें थीं. महबूब अली के पास दुर्लभ 'जैकब' हीरा था, जो दुनिया के सबसे बड़े हीरों में से एक है. फिलहाल वो भारतीय रिजर्व बैंक में रखा हुआ है. इतिहासकार डोमिनिक लैपियर और लैरी कॉलिन्स बताते हैं कि महबूब अली खान की मौत के बाद, उनके बेटे मीर उस्मान अली खान को कपड़े में लिपटे एक जूते में छिपा हुआ हीरा मिला. शुरू में उस्मान अली ने इसे पत्थर समझकर पेपरवेट के रूप में इस्तेमाल किया, लेकिन बाद में उन्हें इसकी असली कीमत का पता चला.