Gujarat Government Policy: गुजरात सरकार ने हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स में रैगिंग की समस्या को रोकने के लिए पारित अपने एक संकल्प में कहा है कि रैगिंग की घटनाओं के उन पीड़ितों या गवाहों के ऊपर भी एक्शन होगा जो इन घटनाओं की जानकारी नहीं देंगे. सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में कहा गया है कि रैगिंग के लिए सजा में क्लास और एजुकेशनल  विशेषाधिकारों से सस्पेंशन से लेकर टर्मिनेशन तक शामिल होगा. साथ ही स्टूडेंट को इस हद तक टर्मिनेट भी किया जा सकता है कि उसे पांच साल तक किसी भी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में एडमिशन नहीं दिया जा सके. 


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इसमें अपराध करने वाले या अपराध को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों की पहचान नहीं होने पर सामूहिक दंड का प्रावधान भी है. हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट द्वारा जारी जीआर में कहा गया, "नए स्टूडेंट्स जो रैगिंग की घटनाओं के पीड़ित या गवाह के रूप में इसकी जानकारी नहीं देते, उन्हें भी उचित दंड दिया जाएगा." 


किस पर बेस्ड हैं नियम


राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जीआर की एक प्रति मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ के सामने पेश की. सरकार ने कहा कि यह जीआर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) द्वारा जारी रैगिंग संबंधी नियमों पर बेस्ड है.


क्या कहा महाधिवक्ता ने


मामले में महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि गुजरात शिक्षा विभाग ने 19 मार्च के जीआर के माध्यम से संस्थान, विश्वविद्यालय, जिला और राज्य स्तर पर रैगिंग विरोधी समितियों का गठन किया है. जीआर में कहा गया है, "गंभीरतापूर्वक विचार करने के बाद और हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स में रैगिंग पर रोक लगाने के लिए गुजरात सरकार ने राज्य में हायर और टेक्निकल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए नियम बनाने का निर्णय लिया है."


इसी साल हुई थी कार्रवाई


इस साल जनवरी में वडोदरा के एक निजी मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के तीन सीनयर रेजिडेंट स्टूडेंट्स को एक जूनियर छात्र की कथित रैगिंग की घटना के बाद जांच लंबित रहने तक सस्पेंड कर दिया था.