वीर प्रताप ने UPSC में 92वीं रैंक पाकर रचा इतिहास, गरीबी में पले-बढ़े किसान के बेटे को ऐसे मिली सफलता
Success Story: अगर कुछ करने की ठान लो, उसके लिए सही रणनीति बनाकर मेहनत करते रहो तो सफलता मिलती ही है. इसे सच साबित किया गरीब किसान के बेटे ने, जिसने हर हाल में IAS बनने का सपना देखा और उसे पूरा किया.
UPSC Success Story: आईएस, आईपीएस बनना किसी उस युवा कि ख्वाहिश होती है, जो यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए तैयारी करते हैं. यूपीएससी एस्पिरेंट्स को अपने लक्ष्य में सफलता या असफलता मिलना ये उनकी मेहनत और कुछ किस्मत पर निर्भर करता है. वही, एक उम्मीदवार ने अपनी कड़ी मेहनत और पक्की धुन की बदौलत अपनी किस्मत को बदल दिया.
आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते वीर प्रताप सिंह राघव का जीवन चुनौतीपूर्ण रहा है. इसके बावजूद वह लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दृढ़ और अडिग रहे. आखिरकार उन्होंने न केवल यूपीएससी की परीक्षा पास, बल्कि ऑल इंडिया रैंक 92 हासिल करके इतिहास ही रच दिया. पढ़िए IAS वीर प्रताप सिंह राघवकी सफलता की कहानी...
कई किमी पैदल चलकर जाते थे स्कूल
उत्तर प्रदेश के दलपतपुर गांव के रहने वाले वीर प्रताप सिंह राघव पढ़ाई को लेकर शुरू से ही जूनुनी रहे हैं. वह किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. वीर ने अपनी 5वीं तक की पढ़ाई करौरा के आर्य समाज स्कूल से की है. इसके बाद शिकारपुर में सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर में माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की. वीर प्रताप को घर से प्रायमरी स्कूल तक 5 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था. वह रोजाना 10 किलोमीटर का सफर करते थे. नहीं, उस समय उनके गांव में कोई पुल नहीं था, ऐसे में उन्हें नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता था.
AMU से की इंजीनियरिंग
वीर प्रताप ने 2015 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई पूरी की. बचपन में गरीबी में पले-बढ़े वीर प्रताप सिंह राघव ने अपनी हर हाल में पढ़ाई जारी रखी और आखिरकार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करके IAS ऑफिसर बन गए.
असफलता ने नहीं तोड़ा हौसला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपीएससी परीक्षा में दर्शनशास्त्र वीर प्रताप का वैकल्पिक विषय था. इंजीनियर ट्रेंड से वीर प्रताप ने प्रीलिम्स के दौरान दर्शनशास्त्र में दूसरा सर्वश्रेष्ठ स्कोर किया हैं. उन्होंने इस विषय में 500 में से 306 अंक हासिल किए. साल 2016 और 2017 में वीर प्रताप यूपीएससी की परीक्षा में लगातार दो बार असफलत रहे. निराश होने के बावजूद वीर शांत रहे और फिर एक बार तैयारी में जुट गए.
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तीसरे प्रयास में मिली सफलता
इस तरह उनकी मेहनत रंग लाई और आखिरकार 2019 में उन्होंने अपनी मंजिल पाई और वह IAS अधिकारी बन गए. वीर प्रताप सिंह राघव तमिलनाडु कैडर के IAS ऑफिसर हैं. वीर प्रताप के बड़े भाई भी IAS बनना चाहते थे, लेकिन घर की जिम्मेदारियों के बोझ के चलते
उन्होंने CRPF में भर्ती होने का विकल्प चुना.