IAS Success Story: UPSC सिविल सेवा परीक्षा भारत की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक है. हालांकि, यदि कोई इसके लिए तैयारी करता है, तो वह इसे क्रैक कर सकता है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अमीर हैं या गरीब, आप एक IAS अधिकारी बन सकते हैं यदि आपके पास वह दृढ़ संकल्प है. ऐसी ही कहानी है आईएएस विजय अमृता कुलंगे की. जो वर्तमान में ओडिशा के गंजम जिले के कलेक्टर हैं. उन्होंने पहले प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) एग्जाम क्लियर करने के लिए बाधाओं को दूर किया और सरकारी अफसर बन गए.


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उनका जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रालेगण के छोटे से गांव में हुआ था. उनके पिता एक दर्जी का काम करते थे और उनकी मां खेतों में दिहाड़ी मजदूर थीं. कुलंगे का कहना है कि उनके माता-पिता हमेशा उनकी शिक्षा पर पूरा ध्यान देते थे. "उन्होंने मेरी पढ़ाई के दौरान मेरी सभी जरूरतों को पूरा किया. मुझे किताबों या अन्य शैक्षिक चीजों की कभी कमी महसूस नहीं हुई."


विजय कुलंगे ने अहमदनगर आवासीय हाई स्कूल में साइंस स्ट्रीम में दाखिला लिया. 12वीं पास करने के बाद वह मेडिकल की डिग्री लेना चाहते थे. हालांकि, वह अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण एमबीबीएस में एडमिशन नहीं ले पाए. बाद में उनकी मां ने उन्हें नौकरी पाने और आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी, और फिर अपनी रुचियों के अनुकूल करियर बनाने की सलाह दी. उसके बाद, उन्होंने डिप्लोमा इन एजुकेशन (डी.एड) की पढ़ाई के दौरान एक सरकारी स्कूल में प्राइमरी टीचर के रूप में काम करना शुरू किया. 


पुणे विश्वविद्यालय से डिप्लोमा हासिल करने के बाद, उन्होंने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू की. बाद में, उन्होंने महाराष्ट्र सिविल सेवाओं के लिए आवेदन किया लेकिन अपने पहले दो प्रयासों में असफल रहे. उन्होंने आखिर में महाराष्ट्र सिविल सेवा में सफलता प्राप्त की और अपने तीसरे अटेंप्ट में उन्हें सेल्स टेक्स इंस्पेक्टर के रूप में चुना गया. वह अपने चौथे अटेंप्ट में तहसीलदार बन गए.


जब वे तहसीलदार के रूप में काम कर रहे थे, तब उनके कलेक्टर (एक IAS अधिकारी) ने उन्हें UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का सुझाव दिया. इसके बाद कुलंगे ने यूपीएससी की परीक्षा दी और पास हुए. परीक्षा में 176वीं रैंक के बाद उन्हें 2013 में ओडिशा कैडर में नियुक्त किया गया.


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