Story of Jarnail Singh Bhindranwale: बात 70 के दशक की है जब पंजाब में खालिस्तान समर्थन और अलगाववाद चरम पर था. हिंसा-लूट-हत्या आम हो चुकी थीं और देश विरोधी ताकतें पंजाब को अलग देश बनाने की कोशिश में लगी थीं. आज हम पंजाब के उस लड़के की बात कर रहे हैं जो चौक मेहता इलाके में रहता था. उस बच्चे में तेज था, पढ़ाई में अच्छा था बुद्धिमान था उसके गुरू उसकी काबिलियत देखकर हैरान रह जाते थे. पढ़ाई चल रही थी सब कुछ अच्छा चल रहा था. पढ़ाई के दौरान ही उसके मन में अपने धर्म को लेकर आस्था जगी और देखते ही देखते वो बच्चा कट्टरपंथी बन गया. उस बच्चे का नाम था जरनैल सिंह भिंडरावाले. 


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जरनैल सिंह भिंडरावाले से टकसाल के गुरुप्रमुख इतने प्रभावित थे कि उन्होंने अपनी मौत से पहले भिंडरावाले को टकसाल का उत्तराधिकारी बना दिया था. आज भी टकसाल में जरनैल सिंह भिंडरावाले को शहीद का दर्जा दिया जाता है.


जब जनरैल सिंह भिंडरावाले को दमदमी-टकसाल का अध्यक्ष चुना गया था, तब उसकी उम्र 30 साल के करीब थी. टकसाल की कमान संभालने के कुछ महीने बाद भिंडरावाले की वजह से पंजाब में उथल-पुथल पैदा हो गई थी. 78 में टकसाल का प्रमुख बनने के बाद 80 की शुरुआत में ही राज्य में हिंसक घटनाएं बढ़ने लगीं. 1981 में पंजाब केसरी अखबार के संस्थापक और संपादक लाला जगत नारायण की हत्या कर दी गई. इसके लिए भी जिम्मेदार भिंडरावाले को ही ठहराया गया. 


अप्रैल 1983 में पंजाब पुलिस के DIG SS अटवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई. फिर रोजवेज में हिंदुओं को मारा गया. इसके बाद इंदिरा गांधी ने कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया. 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया गया.  3 जून 1984 को पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया. 4 जून की शाम से सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी. 6 जून को भिंडरावाले को मार दिया गया.


क्यों हो रही भिंडरावाले और अमृतपाल की तुलना?
हाल ही में अमृतसर में बवाल हुआ. खालिस्तानी समर्थकों ने पुलिस थाने को घेर लिया. थाने को घेरने का काम 'वारिस पंजाब दे' नामक संगठन ने किया था. इसका मुखिया अमृतपाल सिंह है. ये जो बवाल हुआ इसका मकसद है था कि अमृतपाल के समर्थक लवप्रीत तूफान को रिहा किया जाए. अमृतपाल के समर्थक हथियार लिए हुए थे. यह बवाल करीब 8 घंटे चला. 


इसके बाद अमृतपाल की तुलना भिंडरावाले से की जा रही है. अमृतपाल को भिंडरावाला 2.O भी कहा जा रहा है. अमृतपाल भिंडरावाले की तरह ही खालिस्तानी सपोर्टर है. भिंडरावाले की तरह ही नीली पगड़ी पहनता है. अमृतपाल ने 'वारिस पंजाब दे' की पहली वर्षगांठ पर एक प्रोग्राम किया था. यह प्रोग्राम भिंडरावाले के पैतृक गांव में किया गया था. इसलिए लोग अमृतपाल की तुलना भिंडरावाले से कर रहे हैं.


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