Madhopatti Village: कई युवा देश की सर्वोच्च परीक्षा सिविल सेवा परीक्षा (IAS) पास करने का सपना देखते हैं. ये परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित IAS परीक्षा दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. हर साल करीब 10 लाख अभ्यर्थी 1 हजार से भी कम पदों के लिए अप्लाई करते हैं. इस परीक्षा को पास करने वाले कैंडिडेट बेहद काबिल और भाग्यशाली होते हैं. अगर किसी गांव में से एक IAS बन जाए तो पूरे गांव को उसके नाम से जाना जाता है. लेकिन उत्तर प्रदेश का एक गांव ऐसा है, जहां हर घर में कम से कम एक IAS या IPS है. इस गांव को IAS और IPS का गांव कहा जाता है.


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हर घर में है IAS या IPS अधिकारी


आपको बता दें कि ये गांव यूपी के जौनपुर जिले में है, जिसका नाम माधोपट्टी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस छोटे से गांव में करीब 75 घर हैं. ऐसा कहा जाता है कि हर घर से कोई न कोई IAS या IPS अफसर है. इस गांव ने अब तक 50 से ज्यादा IAS और IPS अफसर देश को दिए हैं. यहां के बेटे और बेटियां ही नहीं बल्कि बहुएं भी अफसरों के पद पर तैनात हैं.


1914 से शुरू हुआ सिलसिला


बताया जाता है कि माधोपट्टी में आईएएस बनने का सिलसिला 1914 में शुरू हुआ. गांव के मुस्तफा हुसैन पहले सिविल अधिकारी बने. इसके बाद 1952 में माधोपट्टी के इंदु प्रकाश IAS अफसर बने. इसके बाद गांव में सिविल सेवा परीक्षा पास करने वालों की झड़ी लग गई. माधोपट्टी के युवा के पास आज कई अधिकारियों का मार्गदर्शन और माहौल है. कुछ लोग इस गांव को IAS की फैक्ट्री भी कहते हैं. बिहार के पूर्व मुख्य सचिव विनय कुमार सिंह और तमिलनाडु के पूर्व मुख्य सचिव छत्रपाल सिंह भी इसी गांव के हैं. सबसे कमाल की बात है ये दोनों अधिकारी सगे भाई हैं. इतना ही नहीं इनके दो और भाई भी IAS ऑफिसर रहे.


यूपी में है जवानों का गांव


यूपी का जौनपुर जिला न केवल IAS और IPS अधिकारी पैदा करता है, साथ ही अन्य गकई पदों पर यहां के लोग तैनात हैं. गांव के कई लोग ISRO और BARC में भी हैं. वहीं, यूपी के गाजीपुर जिले के गहमर गांव को 'जवानों के गांव' के नाम जाना जाता है. इस गांव की खासियत यह है कि यहां हर घर में कम से कम एक सदस्य सेना में है.



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