Village Of Bats​: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया. दुनिया में करोड़ों लोग काल के गाल में समा गए. यह सब हुआ एक वायरस की वजह से, जिसके लिए चमगादड़ों को जिम्मेदार ठहराया जाता है. हाल ही में शोधकर्ताओं ने एक रिपोर्ट भी जारी की थीइस रिपोर्ट के मुताबिक आगे भी दुनिया में कोई महामारी फैलती है तो उसके वजह चमगादड़ होंगे, जिनसे वायरस इंसानों तक पहुंच सकते हैं.


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ऐसे में उन्होंने पूरी दुनिया को चेताया और चमगादड़ों से दूरी बनाने के लिए कहा है, क्योंकि ये ठंडे खून वाले जीव हैं और इनके अंदर कोई भी वायरस  तेजी से पनपता है. जहां भी ये जीव होते हैं, इंसान उन्हें भगा देते हैं, लेकिन बिहार में एक ऐसा अनोखा गांव है जहां चमगादड़ों की पूजा होती है. आइए जानते हैं क्यों होता है बिहार के इस गांव में ऐसा...


बिहार के वैशाली जिले में ये अनोखा गांव
हम बात कर रहे हैं सरसई गांव की. बिहार में खासतौर से वैशाली जिले के आसपास सरसई गांव का नाम लेने पर ग्रामीण आपसे फौरन पूछेंगे कि क्या आपको चमगादड़ों के गांव जाना है? इस गांव को इसके वास्तविक नाम से ज्यादा "चमगादड़ों के गांव" के नाम से ही जाना जाता है. 


पूरे देश में मशहूर हो गया ये गांव
अब यह छोटा सा गांव इसी के कारण पूरे देश में जाना जाने लगा है. लोग दूर-दूर से इस गांव को देखने पहुंच रहे हैं. यहां लोग एक दो रात ठहरने आते हैं, ताकि वो इस गांव में रहने वाले चमगादड़ के लिए सुनी-सुनाई बातों को अपनी आंखों से देख सकें.


क्यों पूजे जाते हैं यहां चमगादड़?
इस गांव के लोग चमगादड़ों को अपने लिए बहुत ही शुभ मानते हैं. उनका कहना है कि गांव में इनके रहने से गांव पर कोई मुसीबत नहीं आती. ग्रामीणों का कहना है कि जब भी गांव में कोई अनजान व्यक्ति आता है चमगादड़ खूब शोर मचाते हैं. जबकि, गांव का कोई व्यक्ति रात में गांव में आता है तो ये एकदम शांत रहते हैं. कहा जाता है गांव के सभी लोगों की गंध चमगादड़ पहचानते हैं. ऐसे में जब भी कोई अनजनी गंध इन्हें महसूस होती है ये शोर करके गांव वालों को अलर्ट कर देते हैं.