UGC New Decision for University Professor Selection: अभी तक किसी भी यूनिवर्सिटी में टीचिंग के लिए आवेदक का यूजीसी नेट क्वॉलिफाइड होना जरूरी होता है, लेकिन आने वाले समय में ऐसा नहीं होगा. भविष्य में यूजीसी नेट क्वॉलिफिकेशन न होने के बाद भी आप प्रोफेसर बन सकते हैं. यूनिविर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) की पिछले सप्ताह हुई 560वीं बैठक में इस संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है. इसमें तय किया गया है कि यूनिवर्सिटी एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में जल्द ही एक नई श्रेणी के तहत टीर्चर्स फैकल्टी की भर्ती हो सकेगी. यह नियुक्तियां 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' (पेशेवर प्रोफेसर) योजना के तहत होंगी. इस बाबत अगले महीने नोटिफिकेशन जारी हो सकता है.


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ये होगा चयन का आधार


रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग की इस योजना के तहत इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, लोक सेवा, सशस्त्र बल आदि क्षेत्रों के एक्सपर्ट इन कैटेगरी में भर्ती के लिए पात्र होंगे. इसमें कहा गया है कि जो कैंडिडेट्स विशिष्ट प्रोफेशन से जुड़े हों या जिनका एक्सपीरियंस कम से कम 15 साल का हो, ऐसे लोग प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस श्रेणी के लिए योग्य होंगे. भले ही ये लोग नेट क्वॉलिफाइड न हों.


कितना होगा सर्विस का टाइम


बताया गया है कि इस नई योजना में चुने गए लोगों को शुरुआत में इन पदों पर 1 वर्ष के लिए तैनात किया जाएगा. इस टाइम पीरियड के बाद मूल्यांकन किया जाएगा और इसमें पास होने वालों को आगे सर्विस जारी रखने का ऑफर मिल सकता है. हालांकि इन पदों पर 3 साल से ज्यादा की तैनाती नहीं होगी. अगर बहुत जरूरी होता है तो भी इसे सिर्फ 1 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.


कैसे होगा चयन


इस नए नियम के तहत ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के लिए किसी को चुनने का अधिकार कुलपति या निदेशक का होगा. वह सब्जेक्ट वाइज एक्सपर्ट से नॉमिनेशन मांगेंगे. इसके बाद चयन समिति इन पर विचार करेगी. समिति में उच्च शिक्षण संस्थानों के दो वरिष्ठ प्रोफेसर और एक मशहूर बाहरी सदस्य शामिल होंगे.


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