Public Service Commission: बाधाएं सभी के जीवन में आती हैं लेकिन जो लोग उन्हें दूर करने में सक्षम होते हैं वही अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं. लक्ष्य से ध्यान हटाए बिना प्रयास करना होगा, तभी व्यक्ति सफल हो सकता है. सोलापुर की मोनाली साधु गावड़े ऐसा ही एक उदाहरण हैं. उन्हें महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में जूनियर जज के रूप में चुना गया है. आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी.


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मोनाली ने अपनी स्कूली शिक्षा शांतिनिकेतन हाई स्कूल, सोलापुर से की. उसके बाद उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा लातूर कॉलेज से पूरी की. बाद में उन्होंने लातूर के दयानंद लॉ कॉलेज में कानून की पढ़ाई करने का फैसला किया. मोनाली और भी आगे पढ़ना चाहती थीं इसलिए उन्होंने पोस्ट-ग्रेजुएशन के लिए पुणे जाने का फैसला किया.


मोनाली अपनी कॉलेज की शिक्षा शुरू कर रही थीं लेकिन चीजें वैसी नहीं हुईं जैसा उन्होंने सोचा था, उन्होंने अपनी मां रुक्मिणी गावड़े को साल 2010 में खो दिया. यह उनके परिवार के लिए एक बड़ा सदमा था. उन्हें ठीक होने में थोड़ा समय लगा लेकिन वह कहती हैं कि उनकी मां ही उनकी सफलता की प्रेरणा हैं. मोनाली के सपोर्ट सिस्टम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उनके पिता और भाई के अलावा उनके टीचर ने उनकी पूरी जर्नी में उनका बहुत साथ दिया.


कंपटीटिव एग्जाम हमेशा एक जोखिम भरा बिजनेस होता है. इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कोई निश्चित रूप से परीक्षा को पास कर लेगा. यही वजह है कि ज्यादातर कैंडिडेट्स प्लान बी की तलाश में रहते हैं. मोनाली ने ऐसा ही किया और प्रोफेसर बनने के लिए यूजीसी नेट की परीक्षा दी. वह अपने पहले अटेंप्ट में ही इस परीक्षा में सफल भी हो गई थीं. हालांकि, वह उस पद के साथ आगे नहीं बढ़ पाईं क्योंकि उन्होंने अपने पहले अटेंप्ट में जज की परीक्षा पास कर ली थी. सोलापुर में कई नवोदित वकील उनकी यात्रा से प्रेरित हैं क्योंकि इस क्षेत्र में उनकी कोई फैमिली बैकग्राउंड नहीं था, लेकिन फिर भी वह अपनी कड़ी मेहनत के कारण सफल होने में कामयाब रहीं.


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