Teachers Day Speech in Hindi: जब कोई फेस्टिवल होता है तो उसपर स्कूल में स्टूडेंट्स कुछ न कुछ नया करते हैं. तो अब शिक्षक दिवस (Teachers' day) आ रहा है. तो स्टूडेंट्स अपने अपने अंदाज में चीजें तैयार करेंगे. अगर आपको भाषण तैयार देना है तो हम आपको आज यहां कुछ ऐसे पॉइंट्स बता रहे हैं जिससे कि आप आसानी से और बहुत अच्छी स्पीच तैयार कर सकते हैं. ऐसी स्पीच कि आपके भाषण के बाद लोग देखते रह जाएंगे कि कहां से लिखी है और कैसे लिखी है इतनी अच्छी स्पीच. तो चलिए उन पॉइंट्स के बारे में आपको बताते हैं.


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ऐसे करें अपने भाषण की शुरूआत
आदरणीय शिक्षकों और मेरे सभी साथियों को सुप्रभात और प्रेम भरा वंदन.
आज हम सब यहां शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में एक साथ इकट्ठा हुए हैं. सबसे पहले यहां मौजूद सभी शिक्षकों और शिक्षिकाओं को मेरी तरफ से शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. इस अवसर पर मैं आप सबका/सबकी आभारी हूं जो आपने मुझे मेरे विचार आप लोगो को सामने रखने का अवसर दिया. यह दिन शिक्षकों के साथ छात्रों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन हम अपने शिक्षकों को हमें ज्ञान देने के लिये उनका आभार व्यक्त करते हैं. शिक्षक वह दीपक है जो हमारे अंदर ज्ञान का उजाला भरते हैं. एक शिक्षा अपना पूरा जीवन हमें ज्ञान और सही रास्ता दिखने में लगा देते हैं.


इसके बाद आप कोई दोहा भी कह सकते हैं जैसे
गुरू गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाय.
बलिहारी गुरू आपने गोविंद दियो बताय.


इसके बाद बताएं कि शिक्षक दिवस किसकी याद में और क्यों मनाया जाता है?
इस दिन भारत देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ राधा कृष्णन का जन्म हुआ था. वह एक महान दार्शनिक शिक्षक भी थे और शिक्षा के क्षेत्र में उनका अहम लगाव था. उन्होंने 40 साल तक शिक्षक के रूप में काम किया. अपने जीवन काल के दौरान वह एक मेधावी छात्र, प्रसिद्ध शिक्षक, एक बहुप्रसिद्ध लेखक और प्रसाशक भी रहे. 


फिर एक किस्सा सुना दें...
जब राधा कृष्णन मॉस्कों में भारत के राजदूत थे, तब स्टालिन काफी लंबे समय तक उनसे मुलाकात के लिए राजी नहीं हुए. अंत में दोनों की मुलाकात हुई तो, डॉ. साहब ने स्टालिन को एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि हमारे देश में एक राजा था, जो बड़ा अत्याचारी और कुरूर किस्म का था. उसने काफी खून खराबा मचाया और उसी रक्त के आधार पर प्रगति की. किंतु एक युद्ध में उसके भीतर के ज्ञान को जगा दिया और तभी से उसने शांति और अहिंसा की राह को पकड़ लिया.


अपने भाषण के अंत में एक बार फिर सभी गुरुओं को नमन करता/करती हूं और उनके लिए कुछ लाइनें कहना चाहता /चाहती हूं.
जो बनाए हमें अच्छा और सच्चा इंसान,
दे सही-गलत की पहचान,
उन शिक्षकों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम.


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