Textbooks in Regional Languages: सरकार के निर्देश के मुताबिक, स्कूलों और यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीईआरटी, एनआईओएस, इग्नू जैसे उच्च शिक्षा नियामकों और आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और एनआईटी जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों को सभी सिलेबस के लिए भारतीय भाषाओं में अगले तीन साल स्टडी मैटेरियल उपलब्ध कराना होगा.


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केंद्र के निर्देश के मुताबिक, स्कूल और उच्च शिक्षा की किताबें संविधान की आठवीं अनुसूची में लिस्टेड सभी रीजनल भाषाओं में मुद्रित की जाएंगी. यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख सिफारिश के अनुरूप है जो सभी शैक्षणिक संस्थानों को स्थानीय भाषाओं में सीखने के अवसर प्रदान करने की कल्पना करती है. एनईपी 2020 में कहा गया है कि मातृभाषा में पढ़ाई छात्रों को "भाषा के बिना किसी बाधा के नए रूप से सोचने के लिए नेचुरल स्पेस" प्रदान कर सकती है.


एनईपी-2020 दृढ़ता से इस विचार को व्यक्त करता है कि भारत की बहुभाषी प्रकृति इसकी विशाल संपत्ति और ताकत है जिसे राष्ट्र के सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास के लिए कुशलतापूर्वक उपयोग करने की आवश्यकता है. शिक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि स्थानीय भाषाओं में सामग्री निर्माण से इस बहुभाषी संपत्ति को बढ़ावा मिलेगा और 2047 तक हमारे देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए 'विकसित भारत' में इसके बेहतर योगदान का रास्ता बनाएगा.


क्षेत्रीय भाषा सीखने की सुविधा के लिए, सरकार ईकुंभ पोर्टल पर कोर्स की किताबों का अनुवाद अपलोड कर रही है. आधिकारिक बयान में आगे कहा गया है कि लॉ, मेडिकल, इंजीनियरिंग, स्किल-बेस्ड कोर्स कंटेंट और अन्य अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की किताबों को अपलोड किया गया. स्कूली छात्रों के लिए दीक्षा पोर्टल पर 30 से ज्यादा क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई गई है. जेईई, एनईईटी और सीयूईटी जैसी प्रमुख प्रवेश परीक्षाएं भी 13 अलग अलग क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं