K-4 Missile Test: दुश्मनों की खैर नहीं.. INS अरिघात से K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण, टेंशन में चीन-PAK
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K-4 Missile Test: दुश्मनों की खैर नहीं.. INS अरिघात से K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण, टेंशन में चीन-PAK

INS Arighaat K-4 Missile Test: भारतीय नौसेना ने बुधवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए हाल ही में शामिल की गई परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात से 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया.

K-4 Missile Test: दुश्मनों की खैर नहीं.. INS अरिघात से K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण, टेंशन में चीन-PAK

INS Arighaat K-4 Missile Test: भारतीय नौसेना ने बुधवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए हाल ही में शामिल की गई परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात से 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण न केवल भारत की परमाणु ताकत को नई ऊंचाई पर ले जाता है, बल्कि देश की दूसरी मारक क्षमता (Second-Strike Capability) को भी प्रमाणित करता है. इस सफलता के बाद नौसेना इस मिसाइल प्रणाली के और भी परीक्षण करेगी, जिससे भारत की सामरिक स्थिति और मजबूत होगी.

चीन और पाकिस्तान की बढ़ी चिंता

INS अरिघात की ताकत और K-4 मिसाइल की क्षमता के कारण भारत की स्ट्रैटेजिक पोजिशन में बड़ा सुधार हुआ है. इस सफलता ने चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है. यह परीक्षण हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की ताकत और न्यूक्लियर ट्रायड को और भी मजबूत बनाता है.

K-4 मिसाइल: भारत का मजबूत हथियार

K-4 बैलिस्टिक मिसाइल को खास तौर पर पनडुब्बियों से दागने के लिए डिजाइन किया गया है. यह 3,500 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखती है. इस मिसाइल को भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने तैयार किया है. इसके कई परीक्षण पहले भी किए गए हैं, जिससे इसकी परिचालन क्षमता को और बेहतर बनाया गया.

INS अरिघात की ताकत

INS अरिघात भारतीय नौसेना की नई पीढ़ी की परमाणु पनडुब्बी है, जिसे इस साल अगस्त 2024 में विशाखापट्टनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर में कमीशन किया गया था. यह पनडुब्बी अपने पूर्ववर्ती INS अरिहंत से ज्यादा ताकतवर और उन्नत तकनीकों से लैस है. INS अरिघात में K-4 मिसाइल की तैनाती ने इसे स्ट्रैटेजिक डिफेंस का एक बेहद प्रभावी हथियार बना दिया है.

भारत की न्यूक्लियर सबमरीन

INS अरिघात भारतीय नौसेना की दूसरी परमाणु पनडुब्बी है, जो बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता रखती है. यह पनडुब्बी K-15 मिसाइल से लैस INS अरिहंत के मुकाबले अधिक मारक क्षमता और नई तकनीक से सुसज्जित है. जहां INS अरिहंत की मिसाइल 750 किलोमीटर तक ही वार कर सकती है, वहीं INS अरिघात की K-4 मिसाइल 3,500 किलोमीटर तक दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकती है.

तीसरी पनडुब्बी जल्द होगी शामिल

INS अरिहंत और अरिघात के बाद भारतीय नौसेना के बेड़े में तीसरी परमाणु पनडुब्बी भी अगले साल शामिल की जाएगी. यह कदम भारत की सामरिक शक्ति को और भी मजबूत बनाएगा और दुश्मनों को कड़ा संदेश देगा.

क्या है न्यूक्लियर ट्रायड?

न्यूक्लियर ट्रायड का मतलब है परमाणु हथियारों को तीन माध्यमों से - जमीन, हवा और पानी - से दागने की क्षमता. INS अरिघात और INS अरिहंत के जरिए भारत अब समुद्र के रास्ते भी दुश्मन को जवाब देने में सक्षम है. यह भारत की दूसरी मारक क्षमता को सुनिश्चित करता है. जिसका अर्थ है कि परमाणु हमले के बाद भी भारत पलटवार कर सकता है.

INS अरिघात का सामरिक महत्व

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने INS अरिघात को कमीशन करते समय इसे भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी कौशल का प्रतीक बताया. इस पनडुब्बी का निर्माण और डिजाइन पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से किया गया है. INS अरिघात ने यह साबित कर दिया है कि भारत परमाणु हथियारों और पनडुब्बियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुका है.

दुश्मनों को साफ संदेश

INS अरिघात और K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण भारत की सामरिक स्थिति को नई ऊंचाई देता है. यह न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को भी साफ संदेश देता है कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए हर चुनौती का सामना करने को तैयार है.

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