New Criminal Laws: भारत सरकार की यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने देश भर की यूनिवर्सिटीज और कॉलेज, एचईआई को नए क्रिमिनल लॉ का प्रचार करने और उनसे संबंधित 'गलतफहमियों' को दूर करने का निर्देश दिया है. यूजीसी ने जिन 'गलतफहमियों' का जिक्र किया है उनमें यह भी शामिल है कि नए कानून पर्सनल फ्रीडम के लिये 'खतरा' हैं और उनका उद्देश्य 'पुलिस राज' स्थापित करना है. यह भी कि इसमें देशद्रोह के प्रावधानों को 'देशद्रोह' के तहत बरकरार रखा गया है और ये कानून 'पुलिस यातना' का कारक बन सकता है. 


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यूनिवर्सिटी और एचईआई को अपने मैसेज में यूजीसी ने इन गलतफहमियों और सच्चाइयों का उल्लेख करते हुए एक डिटेल लेटर भी भेजा है. यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने कहा, ' हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स से अनुरोध किया गया है कि वे भारतीय न्याय संहिता, 2023 को डिटेल लेटर में तय सब्जेक्ट के आसपास प्रचारित करें और प्रचार सामग्री के माध्यम से प्रदर्शनी अभियान चलाएं. पर्चे बांटें और वकीलों, न्यायाधीशों, सेवारत और रिटायर न्यायाधीशों व संस्थान के संबंधित संकाय सदस्यों के साथ संगोष्ठी और वार्ता आयोजित करें." 


उन्होंने कहा कि हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस से की गई एक्टिविटीज डिटेल शिक्षा मंत्रालय से शेयर करने को कहा है जिन्हें गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा. भारतीय साक्ष्य संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 को शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सहमति मिलने के बाद इन्हें कानून बना दिया गया. वे क्रमशः भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह लेंगे.


बडे़ बदलाव: नए आपराधिक कानूनों में प्रस्तावित प्रमुख बदलावों में बच्चे की परिभाषा की शुरुआत शामिल है; 'लिंग' की परिभाषा में ट्रांसजेंडर को शामिल करना; डॉक्यूमेंट की परिभाषा में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को शामिल करना और हर डिटेल की संपत्ति को शामिल करने के लिए 'मूवेबल' की परिभाषा का विस्तार करना.