2 Year Mphil Degree: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने क्लिनिकल साइकोलॉजी और साइकेट्रिक सोशल वर्क में एमफिल प्रोग्राम की वैधता 2025-2026 एकेडमिक ईयर तक बढ़ा दी है, आयोग ने इसकी घोषणा कर दी है. 


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यूजीसी (पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए मिनिमम स्टैंडर्ड और प्रोसीजर) नियम 2022 सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को एमफिल प्रोग्राम पेश करने से रोकते हैं. यूजीसी ने दो प्रोग्राम के लिए नियमों में ढील दी है.


यूजीसी ने दो प्रोग्राम के लिए नियमों में ढील दी है. यूजीसी नोटिस में कहा गया है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में क्लिनिकल साइकोलॉजी और साइकेट्रिक सोशल वर्कर द्वारा निभाई गई जरूरी भूमिका को ध्यान में रखते हुए, यूजीसी ने क्लिनिकल साइकोलॉजी में एमफिल और साइकेट्रिक सोशल वर्क में एमफिल की वैधता केवल 2025-2026 शैक्षणिक सत्र तक बढ़ाने का निर्णय लिया है.


इसके मुताबिक, इन दो प्रोग्राम में स्टूडेंट्स को दो और एकेडमिक सेशन के लिए एडमिशन दिया जाएगा. एमफिल दो साल का प्रोग्राम है जो स्टूडेंट्स को रिसर्च और एनालिसिस के अलग अलग तरीकों और टेक्निक से परिचित कराता है. दिसंबर 2023 में आयोग ने दोहराया कि एमफिल डिग्री अब मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं रहेगी. उच्च शिक्षा संस्थानों को एमफिल प्रोग्राम की पेशकश नहीं करने का निर्देश दिया गया था, क्योंकि आयोग ने पहले घोषणा की थी कि सभी विश्वविद्यालयों में पेश किए जाने वाले एडवांस्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट अब वैध नहीं होंगे. विश्वविद्यालयों को 2023-2024 एकेडमिक ईयर के लिए एमफिल में नए स्टूडेंट्स को एडमिशन नहीं देने का निर्देश दिया गया था.


नियम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुताबिक हैं जो विश्वविद्यालयों में एमफिल  को बंद करने की सिफारिश करती है. एनईपी चार साल की ग्रेजुएशन डिग्री और एक रिसर्च मास्टर डिग्री की सिफारिश करता है, जिससे पीएचडी के लिए एमफिल की जरूरत खत्म हो जाती है. उच्च शिक्षा संस्थानों के पास मास्टर प्रोग्राम  के अलग अलग डिजाइन पेश करने का लचीलापन होगा. (ए) दो साल का प्रोग्राम हो सकता है, जिसमें दूसरा साल पूरी तरह से उन लोगों के लिए रिसर्च के लिए डेडिकेट होगा जिन्होंने दो साल की बैचलर/मास्टर प्रोग्राम की डिग्री पूरी कर ली है. पीएचडी करने के लिए या तो मास्टर डिग्री या रिसर्च के साथ चार साल की ग्रेजुएशन डिग्री की जरूरत होगी. एमफिल बंद कर दिया जाएगा, एनईपी में कहा गया है.",