Sarkari Medical College: एमबीबीएस में एडमिशन की जब बात आती है तो इसके लिए स्टूडेंट्स एंट्रेंस एग्जाम देते हैं. स्टूडेंट की पर्फोरमेंश के हिसाब काउंसलिंग में कॉलेज मिलता है, मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए सरकारी कॉलेज स्टूडेंट्स की टॉप प्रोयोरिटी पर होते हैं. इसके पीछे कई कारण हैं जिनके बारे में हम यहां बात करेंगे और मैडियन रैंक के मुताबिक देश के टॉप 10 मेडिकल कॉलजे भी आपको बताएंगे.


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भारत में 2023-24 के लिए हुए 1 लाख से ज्यादा एमबीबीएस एडमिशन के आंकड़ों के आधार पर ये निष्कर्ष निकाला गया है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज मेडिकल स्टूडेंट्स की टॉप प्रोयोरिटी पर होते हैं. लेकिन, इसमें 20 AIIMS और JIPMER की 2,269 सीटों और चार अन्य कॉलेजों की 420 सीटों को शामिल नहीं किया गया है. आपको बता दें कि सरकारी कॉलेजों की फीस बहुत कम होने के कारण यह स्टूडेंट्स की पहली पंसद बने हुए हैं. इसके अलावा यहां से पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को आसानी से नौकरी भी मिल जाती है.


टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक नीट रैंकों का एनालिसिस किया गया, ताकि हर कॉलेज में एडमिशन पाने वाले स्टूडेंट्स की औसत रैंक का पता लगाया जा सके. औसत रैंक का मतलब है, आधे से ज़्यादा स्टूडेंट्स उस रैंक से कम रैंक लाए थे.


ऐसा लग रहा है कि दिल्ली कई जाने-माने मेडिकल कॉलेजों और एमबीबीएस के बाद किसी बॉन्ड की शर्त न होने के कारण स्टूडेंट्स की सबसे पसंदीदा जगह बनने जा रहा है. हालांकि, अभी एम्स-दिल्ली या किसी अन्य एम्स का डेटा शामिल नहीं है, लेकिन फिर भी दिल्ली का मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज 1,112 की सबसे हाई मेडियन रैंक के साथ टॉप पर है. यानी कि वहां एडमिशन लेने वाले आधे से ज्यादा स्टूडेंट्स की नीट रैंक 1,112 से कम थी. दूसरे नंबर पर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी का इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज 1,325 की मेडियन रैंक के साथ है और उसके बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से जुड़ा वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (मेडियन रैंक 2,718) आता है.


दिल्ली के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स की औसत रैंक (मेडियन रैंक) 4,597 है, जो बताता है कि वहां एडमिशन होना उतना आसान नहीं है. वहीं, केरल में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सालाना फीस सिर्फ 20,000 से 30,000 रुपये के बीच है और एमबीबीएस के बाद कोई बॉन्ड भी नहीं है. यहां सरकारी कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स की औसत रैंक (मेडियन रैंक) काफी हाई है, यानी 12,592 है.


केरल के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में भी औसत फीस 7 लाख रुपये से कम होने के कारण दाखिला लेने वालों की औसत रैंक (96,600) अच्छी है. ध्यान दें कि अगर कोच्चि के अमृता स्कूल ऑफ मेडिसिन (जहां सालाना फीस 19 लाख रुपये है) को अलग कर दें, तो केरल के निजी कॉलेजों की औसत रैंक और भी हाई हो जाएगी. दिल्ली और केरल के ये आंकड़े बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज चुनते समय फीस और बॉन्ड की शर्तें भी छात्रों के फैसले को काफी प्रभावित करती हैं.