Congress-TMC Seat Sharing: तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ेगी. लोकसभा चुनाव से पहले TMC के इस ऐलान से कांग्रेस को झटका लगा है. विपक्ष के INDIA गठबंधन की सब एकजुटता पश्चिम बंगाल में छिन्‍न-भिन्‍न नजर आ रही है. कांग्रेस और TMC में सीट शेयरिंग पर बात बनी नहीं, ऊपर से CPI-M की अगुवाई वाला लेफ्ट खेमा भी ममता सरकार के खिलाफ आग उगल रहा है. तृणमूल और कांग्रेस के बीच तनातनी की वजह सियासी कम, पर्सनल ज्यादा मालूम होती है. तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. TMC नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने PTI से बातचीत में कहा कि बंगाल में INDIA गठबंधन न चल पाने की वजह अधीर रंजन चौधरी हैं.' अधीर पर TMC का हमलावर रुख ऐसे ही नहीं है. चौधरी और सीएम ममता बनर्जी की जरा भी नहीं बनती.


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ममता vs अधीर : 25 साल पुरानी अदावत


69 साल की ममता तीन बार राज्‍य की मुख्‍यमंत्री रही हैं. 1 जनवरी, 1998 को उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी राजनीतिक पार्टी TMC बनाई. कभी वह और अधीर एक साथ काम किया करते थे. तब भी उनके बीच तल्खी का दौर चलता था. कांग्रेस में दोनों के साथ काम कर चुके एक नेता ने द इंडियन एक्‍सप्रेस से कहा, 'दोनों कभी एक नाव में सवार नहीं हो सके. जब ममता ने तत्कालीन PCC चीफ सोमेन मित्रा के खेमे के खिलाफ बगावत कर TMC का गठन किया, तब अधीर उनके खिलाफ खड़े थे. विडंबना ही रही कि बाद में सोमेत व कांग्रेस के कई अन्य नेता TMC में शामिल हुए लेकिन अधीर नहीं. अधीर ने हमेशा ममता और उनकी पार्टी से दूरी बनाए रखी.'


67 साल के अधीर बहरामपुर लोकसभा से पांच बार सांसद चुने जा चुके हैं. वह राज्य में पार्टी यूनिट भी संभालते हैं.


अधीर को कभी रास नहीं आईं ममता


2011 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता ने कांग्रेस के समर्थन से लेफ्ट का 34 साल से चला आ रहा राज ध्वस्त किया. दिसंबर 2012 में कांग्रेस के मनोज चक्रवर्ती ने ममता कैबिनेट से इस्तीफा दिया और गठबंधन टूट गया. उस समय भी मनोज के साथ अधीर खुलकर खड़े थे. धीरे-धीरे अधीर राज्‍य में ममता-विरोधी राजनीति का बड़ा चेहरा बन गए. 2016 में कांग्रेस और लेफ्ट ने विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया, तब अधीर ही उस गठजोड़ के पीछे थे.


द इंडियन एक्सप्रेस ने TMC के एक सीनियर नेता के हवाले से लिखा कि 'कांग्रेस आलाकमान को यह बात बार-बार बताई जा चुकी है कि जब तक अधीर बंगाल कांग्रेस के मुखिया रहेंगे, TMC के साथ गठबंधन नहीं हो पाएगा. ममता को प्रदीप भट्टाचार्य या अब्‍दुल मन्‍नान जैसे कांग्रेसी नेता पसंद रहे हैं जो TMC के प्रति इतनी कड़वाहट नहीं रखते.'


सीट शेयरिंग में आड़े आ गई खटपट


ममता ने हाल ही में मुर्शिदाबाद (अधीर का जिला) में TMC कार्यकर्ताओं से कहा कि पार्टी राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों पर लड़ने को तैयार है. उसी दौरान, बंद दरवाजे के पीछे बैठक में ममता ने अधीर के संसदीय क्षेत्र बहरामपुर का हवाला देकर कहा था कि 'अगर आप मिलकर लड़ोगे तो अधीर चौधरी को हरा सकते हो.' उससे पहले, अधीर ने ममता को चुनौती दी थी- 'अगर आपके पास ताकत है तो आकर बहरामपुर में लड़ो.' अधीर ने ममता को यह भी याद दिलाया था कि TMC कांग्रेस की मदद से बंगाल की सत्‍ता पर काबिज हुई थी.


लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग पर बातचीत में ममता ने कांग्रेस को वही दो सीटें ऑफर कीं जो उसके पास हैं- बहरामपुर और मालदा दक्षिण. अधीर ने पेशकश ठुकराते हुए कहा कि कांग्रेस ने 2019 में ये सीटें TMC और कांग्रेस से लड़कर जीती हैं और उन्हें दोबारा जीतने के लिए ममता की 'दया' की जरूरत नहीं पड़ेगी.



गुरुवार (25 जनवरी 2024) को जब पत्रकारों ने सीट शेयरिंग पर सवाल किया तो राज्यसभा में TMC के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने अधीर पर ठीकरा फोड़ा. ब्रायन ने कहा, 'INDIA गठबंधन के दो मुख्य विरोधी हैं: बीजेपी और अधीर रंजन चौधरी. वह भाजपा की भाषा बोलते हैं. बंगाल में गठबंधन न चल पाने के तीन कारण: अधीर चौधरी, अधीर चौधरी और अधीर चौधरी.