Bhopal Loksabha Chunav 2024: नवाबों, तालों और मस्जिदों का शहर बीजेपी, राजनीति के रंगमंच पर भी अपनी छाप छोड़ता रहा है. 16 लोकसभा चुनावों में से 9 बार विजयी रही भाजपा, इस सीट को अपना गढ़ बना चुकी है. मैमूना सुल्तान से लेकर पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, उमा भारती और कैलाश जोशी, बीजेपी ने अनेक दिग्गजों को संसद भेजा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में, बीजेपी ने मैमूना सुल्तान को अपना सांसद चुना. अफगानिस्तान के दुर्रानी सल्तनत के शासकों की वंशज, मैमूना ने कांग्रेस के टिकट पर हिंदू महासभा के उम्मीदवारों को दो बार हराया. 1967 में, हिंदू महासभा के जेआर जोशी ने उन्हें इसी सीट पर हराकर जीत हासिल की.


बीजेपी का राजनीतिक इतिहास विविधतापूर्ण और रोमांचक रहा है. 1957 में जब पहला संसदीय चुनाव हुआ, तो बीजेपी ने मैमूना सुल्तान को चुना. अफगानिस्तान के दुर्रानी सल्तनत से जुड़ी मैमूना ने 1957 और 1962 में हिंदू महासभा के उम्मीदवारों को हराया. 1967 में, जेआर जोशी ने उन्हें इसी सीट से हराकर इतिहास रच दिया.


बीजेपी का राजनीतिक इतिहास, उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता का संघर्ष, यहाँ हमेशा रहा है. 2019 में, प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने दिग्विजय सिंह को हराकर भाजपा का दबदबा बरकरार रखा.


1977 में हुए छठे आम चुनाव में जनता पार्टी ने जीत हासिल की. यहां जनता पार्टी ने जनसंघ से जुड़े आरिफ बेग को मैदान में उतारा था और उन्होंने कांग्रेस नेता और सांसद शंकर दयाल शर्मा को हरा दिया था. फिलहाल बीजेपी लोकसभा सीट पर 1989 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा चला आ रहा है. 1989 से इस सीट पर बीजेपी का ऐसा कब्जा हुआ कि कांग्रेस ने एक से बढ़कर एक दिग्गज मैदान में उतारे, लेकिन हर बार उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा. 


बीजेपी ने बड़े बड़े दिग्गजों को हराया.. 
1989 से बीजेपी की जीत का क्रम शुरू हुआ, जो अब तक जारी है. 1989, 1991, 1996 और 1998 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के सुशील चंद्र वर्मा ने बीजेपी सीट से लगातार जीत हासिल की. उन्होंने के.एन. प्रधान, मंसूर अली खान पटोदी, कैलाश अग्निहोत्री और आरिफ बेग जैसे दिग्गजों को हराया. बाद में फिर 2019 के चुनाव में दिग्विजय सिंह भी हार गए, उन्हें प्रज्ञा ठाकुर ने हराया था.


भोपाल में कपिल देव का दौरा: राजनीतिक प्रचार
1991 के लोकसभा चुनाव में, क्रिकेट के दिग्गज कपिल देव भोपाल पहुंचे थे. मंसूर अली खान पटौदी, जो उस समय कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार थे, शहर-ए-भोपाल से अपना राजनीतिक सफर शुरू कर रहे थे. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी पटौदी के समर्थन में प्रचार करने पहुंचे थे. हालांकि, उस समय राम जन्मभूमि आंदोलन अपने चरम पर था, जिसके कारण पटौदी चुनाव हार गए थे. यह चुनाव भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, और कपिल देव की उपस्थिति ने इसे और भी यादगार बना दिया था.


क्या है जातीय समीकरण
जनसंख्या 26,79,574 है. यहां की 23.71 फीसदी आबादी ग्रमीण क्षेत्र में रहती है, जबकि 76.29 फीसदी शहरी इलाके में रहती है. भोपाल की 15.38 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति की है और 2.79 फीसदी अनुसूचित जनजाति की है. इस सीट पर 20 से 25 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं. वहीं, अनुसूचित जाति के वोटर्स यहां 14.83 प्रतिशत हैं और अनुसूचित जनजाति के वोटर्स 2.56 प्रतिशत है.


बीजेपी लोकसभा सीट में आठ विधानसभा क्षेत्र लगते हैं, जिनमें बैरसिया, बीजेपी उत्तर, नरेला, बीजेपी दक्षिण-पश्चिम, बीजेपी मध्य, गोविंदपुरा, हुजूर और सीहोर विधानसभा आती है. 



जीतने वाले उम्मीदवारों का इतिहास जान लीजिए..


1957- मैमूना सुल्तान, कांग्रेस    
1962- मैमूना सुल्तान, कांग्रेस
1967- जे आर जोशी, जनसंघ
1971- शंकर दयाल शर्मा, कांग्रेस
1977- आरिफ बेग, बीएलडी
1980- शंकर दयाल शर्मा, कांग्रेस
1984- के एन प्रधान, कांग्रेस
1989- सुशील चंद्र, बीजेपी
1991- सुशील चंद्र, बीजेपी
1996- सुशील चंद्र, बीजेपी
1998- सुशील चंद्र, बीजेपी
1999- उमा भारती, बीजेपी
2004- कैलाश जोशी, बीजेपी
2009- कैलाश जोशी, बीजेपी
2014- आलोक संजर, बीजेपी 
2019- प्रज्ञा सिंह ठाकुर, बीजेपी


2024 का समीकरण क्या है?
2024 के चुनाव में, क्या इतिहास बदलेगा या भाजपा का वर्चस्व कायम रहेगा? यह तो समय ही बताएगा. क्योंकि इस बार बीजेपी ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जगह अलोक शर्मा को मैदान में उतारा है. 


Candidates in 2024 Party Votes Result
  BJP    
  Congress