Chhindwara Loksabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. 1952 में हुए पहले चुनाव से लेकर अब तक, यह सीट 18 बार चुनावों का गवाह बनी है. इनमें से 16 बार कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, और सिर्फ 1 बार BJP के उम्मीदवार जीत पाए हैं.


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1952 का पहला चुनाव: पहले संसदीय चुनाव में कांग्रेस के रायचंद भाई शाह ने निर्दलीय उम्मीदवार पन्नालाल भार्गव को हराकर जीत हासिल की थी. हालांकि, वे सिर्फ एक ही बार सांसद रह पाए.


कांग्रेस का दबदबा:
1957 और 1962 में भीकूलाल चांडक ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता. 1967 में गार्गी शंकर मिश्रा ने इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा बरकरार रखा और लगातार 3 चुनाव जीते.


फिर शुरू हुआ कमलनाथ का सुनहरा सफर.. 
1980 में कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद से वे इस सीट पर कांग्रेस का चेहरा बन गए. 1997 को छोड़कर, कमलनाथ ने 2019 तक  9 बार चुनाव जीता. कमलनाथ और छिंदवाड़ा एक दूसरे का पर्याय बन गए हैं. कमलनाथ के राजनीतिक जीवन का बड़ा हिस्सा इसी सीट से जुड़ा है.


जब इंदिरा ने कहा- कमलनाथ तीसरे बेटे हैं..
1980 के लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा प्रचार करने पहुंचीं इंदिरा गांधी ने युवा कमल नाथ की ओर इशारा करते हुए कहा था कि ये सिर्फ कांग्रेस नेता नहीं हैं, ये राजीव और संजय के बाद मेरे तीसरे बेटे हैं. इसके बाद छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ बन गया और उन्होंने 1991 तक लगातार 4 लोकसभा चुनाव जीते.


सुंदरलाल पटवा ने बीजेपी की तरफ से दिखाया था दम..
1996 में जब हवाला कांड के चलते इस्तीफा देकर पत्नी अलका नाथ को मैदान में उतारा और वे जीत गईं. कुछ ही महीने बाद अलका नाथ ने अचानक इस्तीफा दिया ताकि कमलनाथ फिर जीत सकें, लेकिन इस बार पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा ने कमल नाथ को हरा दिया और छिंदवाड़ा में पहली बार बीजेपी का कमल खिला. 


फिर हुई कमलनाथ की वापसी
इसके बाद 1998 के लोकसभा के चुनाव हुए. जहां कमलनाथ ने एक फिर बाजी मार ली और वह 2014 तक इस सीट से लगातार चुनाव जीते. फिर 2019 में बेटे नकुलनाथ ने इस सीट से चुनाव लड़ाया और वे जीत गए. 


छिंदवाड़ा को मॉडल बनाया
किसी जमाने में छिंदवाड़ा बहुत ही पिछड़ा इलाका हुआ करता था. लोगों को ब्रेड खरीदने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती थी. लेकिन पिछले चार दशकों में छिंदवाड़ा का कायाकल्प हुआ है. अब यहां बड़े-बड़े ब्रांड्स के शोरूम खुल गए हैं. कौशल विकास के लिए कई केंद्र बनाए गए. उन्होंने छिंदवाड़ा को वह सब दिया जो कोई भी नेता अपने गृह जिले या अपनी सीट को देना चाहता है. 


यहां की कुल जनसंख्या 20 लाख 90 हजार 922 है, जिसमें से 75 प्रतिशत आबादी गांवों में और 24 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में निवास करती है. छिंदवाड़ा के 92 प्रतिशत लोग हिंदू धर्म में जबकि 4 प्रतिशत लोग इस्लाम में आस्था रखते हैं.


आज भी कांग्रेस का गढ़:
2019 में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने इस सीट से जीत हासिल की. आज भी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ बनी हुई है.


2024 का समीकरण क्या है? नकुलनाथ बनाम बंटी साहू
यह बात मजेदार रही कि चुनाव से ऐन पहले कमलनाथ और नकुलनाथ की बीजेपी में जाने की अफवाह उड़ी लेकिन बाद में यह बात खारिज हो गई. कांग्रेस ने फिर से नकुलनाथ पर दांव लगाया है लेकिन इस बार बीजेपी अपने उम्मीदवार बंटी साहू के सतह जबरदस्त प्रचार कर रही है. अमित शाह यहां रोड शो कर चुके हैं और सीएम मोहन यादव ने तो कई दिन रुककर जमकर प्रचार किया है. यही एक सीट है जो बीजेपी के लिए एमपी में नासूर बनी हुई है. 


Candidates in 2024 Party Votes Result
Banti Sahu BJP    
Nakul Nath Congress