Chittoragarh Lok Sabha Chunav Result 2024: देश के बाकी राज्यों की तरह राजस्थान में भी चुनावी बिगुल बज चुका है. धीरे-धीरे तमाम पार्टियां अब चुनावी बिसात पर मोहरे फिट करने में लगी हैं. राजस्थान में इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला है. 25 लोकसभा सीटों की जंग में एक सीट है चित्तौड़गढ़. ऐतिहासिक रूप से तो इस सीट का महत्व है ही लेकिन पार्टियां भी इस सीट की अहमियत जानती हैं. 


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हैरानी की बात है कि होने को तो ये गैर-आरक्षित सीट है. लेकिन इस सीट पर सबसे ज्यादा वोटर्स की तादाद अनुसूचित जनजाति (एसटी) की है. इस लोकसभा क्षेत्र में पूरे चितौड़गढ़ जिले के अलावा प्रतापगढ़ जिले और उदयपुर जिले का कुछ हिस्सा भी आता है. क्षेत्र में साक्षरता दर 51.95 प्रतिशत है. 


चित्तौड़गढ़ लोकसभा चुनाव रिजल्ट


चितौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीट आती हैं. ये हैं- मावली, वल्लभनगर, कपासन, बेगूं, चितौड़गढ़, निंबाहेरा, बड़ी सादड़ी, प्रतापगढ़ (एसटी). चितौड़गढ़ लोकसभा सीट से इस बार भी अपने दो बार के सांसद चंद्रप्रकाश जोशी को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने उदयलाल अंजना को टिकट दिया है. 


सीट पर क्या हैं समीकरण?


इस सीट पर सबसे ज्यादा 23.3 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति के वोटर्स की है. इसके बाद अनुसूचित जाति (एससी) के वोटर्स की आबादी 13 प्रतिशत है. मुस्लिम आबादी 5.1 प्रतिशत, जैन 1.89 प्रतिशत, सिख 0.1 प्रतिशत और बौद्ध 0.02 प्रतिशत है. 


साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, इस सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स की तादाद 260,150 है जबकि अनुसूचित जनजाति के वोटर्स की संख्या 4,66,269. यानी एससी और एसटी समुदाय इस सीट पर हवा का रुख कभी भी किसी भी ओर मोड़ने का माद्दा रखते हैं.  मुस्लिम वोटर्स की तादाद इस सट पर 101,532 है. ग्रामीण वोटर्स की संख्या 1,696,980 और शहरी वोटर्स की संख्या 304,176 है. लोकसभा चुनाव 2019 में इस सीट पर कुल वोटर्स 2001156 थे. पिछले चुनाव में इस सीट पर 72.2 प्रतिशत वोट पड़े थे.  


सीट से कब कौन जीता?


1952 में जब पहला लोकसभा चुनाव हुआ तब भारतीय जनसंघ के उमाशंकर त्रिवेदी को जीत मिली. 1957 और 1962 में कांग्रेस के माणिक्य लाल वर्मा और 1967 में कांग्रेस के ही ओंकार लाल बोहरा को जीत मिली. 1971 में भारतीय जनसंघ के बिश्वनाथ झुनझुनवाला को जनता ने जिताकर संसद भेजा. 1977 में जनता पार्टी के श्याम सुंदर सोमानी विजयी हुए. 1980 और 1984 में कांग्रेस की निर्मला कुमारी शेखावत को जनता ने भरपूर वोट देकर लोकसभा भेजा. इसके बाद 1989 में बीजेपी के महेंद्र सिंह मेवाड़ और 1991 और 1996 में बीजेपी के जसवंत सिंह यहां से जीते. 1998 में कांग्रेस के उदय लाल अंजना को जीत मिली. तो वहीं 1999 और 2004 में बीजेपी के श्रीचंद कृपलानी को. 2009 में यह सीट कांग्रेस के पास आ गई और गिरिजा व्यास जीत गए. 2014 और 2019 में बीजेपी के चंद्रप्रकाश को यहां से विजय मिली.  


किसको कितने वोट मिले?


साल 2004 में चित्तौड़गढ़ सीट पर बीजेपी के श्रीचंद कृपलानी को 3,75,385 वोट मिले. जबकि कांग्रेस के विश्व विजय सिंह को 2,39,615 वोट. 2009 में बाजी पलटी और कांग्रेस के गिरिजा व्यास जीते. लेकिन मुकाबला कांटे का हुआ. व्यास को जहां 3,99,663 वोट मिले. वहीं बीजेपी के श्रीचंद कृपलानी को 3,26,885. 2014 की मोदी लहर में बीजेपी के चंद्र प्रकाश जोशी प्रचंड बहुमत से जीते. उनको 7,03,236 वोट मिले. जबकि कांग्रेस के गिरिजा व्यास 3,86,379 वोट. साल 2019 में चंद्र प्रकाश जोशी को 9,82,942 वोट मिले. जबकि कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत 4,06,695 वोट ही हासिल कर पाए.