Bihar Politics Chirag Paswan vs Pashupati Paras: बिहार में रामबिलास पासवान की विरासत को संभालने का दम भरने वालों के रास्ते अलग-अलग हुए लंबा वक्त हो चला है, फिर भी उनके बीच की अदावत यानी तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. खासकर हाजीपुर संसदीय सीट की बात करें चाचा-भतीजे यानी पशपति पारस और चिराग पासवान के बीच आपसी द्वंद युद्ध जारी है. इसी आग में घी डालते हुए चाचा पशुपति कुमार पारस ने भतीजे चिराग पासवान पर जमकर हमला बोला है.


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हाजीपुर से मुझे कौन रोक सकता है: पारस


केंद्रीय गृह मंत्री एवं राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने वह आगामी लोकसभा चुनाव में हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे क्योंकि यह उनका ‘अधिकार’ है. साथ ही कुमार ने अपने भतीजे एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सहयोगी चिराग पासवान उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने (पासवान ने) अपनी मां को हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारने की बात कही थी. यहां पत्रकारों से बात करते हुए पारस ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि हाजीपुर संसदीय सीट के बारे में दूसरे लोग क्या सोच रहे हैं. मैं हाजीपुर से ही चुनाव लड़ूंगा... यह मेरा अधिकार है. मुझे कौन रोक सकता है.’


क्या है चिराग की प्लानिंग?


आपको बताते चलें कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष एवं जमुई से सांसद चिराग पासवान द्वारा हाजीपुर से अपनी मां रीना पासवान को चुनावी मैदान में उतारने की योजना के बारे में पूछे जाने पर पारस ने कहा, ‘मैं एक बार फिर यह दोहरा रहा हूं कि मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि दूसरे इस सीट के बारे में क्या सोच रहे हैं. आप उनसे (चिराग) जमुई संसदीय सीट छोड़ने का कारण क्यों नहीं पूछते.’


'वो जमुई से हार रहे हैं... जमानत जब्त हो जाएगी'


पारस ने चिराग पासवान का नाम लिए बिना कहा, ‘वह (चिराग) जमुई संसदीय सीट क्यों छोड़ रहे हैं. मैं पूरे विश्वास के साथ कह रहा हूं कि आगामी लोकसभा चुनाव में वहां (जमुई) और बिहार की किसी भी अन्य सीट से उनकी जमानत जब्त हो जाएगी.’ चिराग पासवान ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह चाहते हैं कि उनकी मां हाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ें. इसी पर उनके दिवंगत पिता राम विलास पासवान ने दशकों तक सेवा की थी.


NDA-BJP को पारस की सलाह


भारतीय जनता पार्टी को चिराग पासवान से सावधान रहने की सलाह भी दी है. उन्होंने कहा कि 'चिराग' का कोई भरोसा नहीं है. ऐसे में एनडीए और बीजेपी को चुनावी माहौल देखते हुए सतर्क रहना चाहिए.


(इनपुट: भाषा)