Indira Gandhi: उस दिन मंच से बोल रही थीं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, तभी भीड़ से होने लगी पत्थरबाजी
Kissa Kursi Ka: इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े किए तो उन्हें कई उपनाम दिए गए. लोगों ने आयरन लेडी भी कहा लेकिन इससे कुछ साल पहले तक इंदिरा की छवि वैसी नहीं थी. एक बार इलेक्शन रैली में उन पर पत्थर फेंके गए थे और उनकी नाक टूट गई.
Lok Sabha Chunav: क्या आप इसी तरह देश को बनाएंगे? क्या आप ऐसे ही लोगों को वोट देंगे... तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उस रैली में बोल रही थीं तभी भीड़ में से पत्थरों की बारिश शुरू हो गई. एक पत्थर उनकी नाक पर आकर गिरा. खून बहने लगा लेकिन इंदिरा ने भाषण नहीं रोका. दरअसल, जिस इंदिरा को बाद में आयरन लेडी कहा गया, उस समय तक उनका वो रुतबा नहीं था.
भुवनेश्वर में हो रही थी रैली
वो साल था 1967, फरवरी का महीना और जगह थी ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर. स्थानीय नेताओं ने इंदिरा से कहा कि वह अपना भाषण जल्दी समाप्त कर दें लेकिन वह बोलती रहीं. लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद वह प्रधानमंत्री बनी थीं. एक साल बाद चुनाव प्रचार के लिए ओडिशा में थीं. उस रैली में वह विपक्षियों पर बरस रही थीं तभी पत्थरबाजी शुरू हो गई. उस समय ओडिशा में स्वतंत्र पार्टी का दबदबा था.
रुमाल से बांधी नाक
इंदिरा ने खून से लथपथ नाक को रुमाल से बांध लिया और मंच पर खड़ी होकर बोलती गईं. उन्होंने कहा कि यह मेरा नहीं, देश का अपमान है. प्रधानमंत्री होने के नाते मैं देश का प्रतिनिधित्व कर रही हूं. यहां से वह दिल्ली नहीं लौटीं जबकि सुरक्षा अधिकारी राजधानी लौटने के लिए कह रहे थे. ओडिशा से वह कोलकाता रैली करने चली गईं.
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अगले कई दिनों तक वह चेहरे पर प्लास्टर लगाए चुनाव प्रचार करती रहीं. दिल्ली आने पर उनका ऑपरेशन हुआ था.
इंदिरा को कहा गया 'गूंगी गुड़िया'
यह वो दौर था जब उन्हें गूंगी गुड़िया तक कहा गया. विरोधी कहते थे कि वह इतनी कोमल हैं कि देश के प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी ठीक तरह से नहीं उठा सकती हैं. हालांकि इंदिरा ऐसी बातों को गलत साबित करती रहीं.
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इंदिरा ने अपनी लंबी नाक का जिक्र करते हुए मजाक किया था कि मुझे लग रहा था कि डॉक्टर प्लास्टिक सर्जरी करके मेरी नाक सुंदर बना देंगे लेकिन यह वैसी ही रह गई. बाद में भुवनेश्वर की घटना की सभी दलों ने निंदा भी की थी.
बताते हैं कि इस घटना से कुछ समय पहले जयपुर की एक रैली में विरोधियों का एक समूह शोर मचाने लगा. तब इंदिरा ने मंच से कहा था कि मैं इस तरह की हरकतों से डरने वाली नहीं हूं. नारों से आप इतिहास को नहीं बदल सकते. वहां शोर करने वालों में जनसंघ के समर्थक थे.
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