Jaipur Lok Sabha Chunav Result 2024​: लोकसभा चुनाव 2024 का ऐलान हो चुका है और 19 अप्रैल से शुरू होकर सात चरणों में वोटिंग होगी. राजस्थान में दो चरणों में वोटिंग होगी, जिसमें हाई प्रोफाइल जयपुर लोकसभा सीट भी है. जयपुर राजस्थान की राजधानी होने के साथ-साथ इसका ऐतिहासिक महत्व भी है. लिहाजा इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. 


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जयपुर सामान्य श्रेणी की सीट है, जिसमें पूरा जयपुर जिला आता है. यहां की साक्षरता दर 64.91 प्रतिशत है. यह सीट साल 1952 में स्थापित की गई थी. जयपुर के जातीय समीकरण पर गौर करें तो यहां सबसे ज्यादा आबादी मुसलमानों और अनुसूचित जाति वालों की है. बीजेपी ने यहां से मंजू शर्मा और कांग्रेस ने प्रताप सिंह खाचरियावास को टिकट दिया है. 


जयपुर लोकसभा चुनाव रिजल्ट


जयपुर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभाएं आती हैं, ये हैं- हवा महल, विद्याधर नगर, सिविल लाइंस, किशन पोल, आदर्श नगर, मालवीय नगर, सांगनेर और बगरू (एससी).आंकड़े देखें तो इस सीट पर ज्यादातर बार बीजेपी का कब्जा रहा है. बीजेपी आठ बार यहां से जीती है. कांग्रेस प्रत्याशी को केवल 3 बार ही विजय मिली है.


सीट का क्या है समीकरण


जयपुर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा 15.2 फीसदी आबादी मुसलमानों और 13.7 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति (एससी) की है. यानी मुसलमान और एससी मिलकर किसी भी उम्मीदवार का खेल बना और बिगाड़ सकते हैं. इसके बाद अनुसूचित जनजाति की आबादी 4.4 फीसदी, जैन समुदाय की आबादी 1.22 फीसदी, बौद्ध की आबादी 0.02 फीसदी, ईसाइयों की आबादी 0.1 फीसदी और सिखों की आबादी 0.28 फीसदी है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, इस सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी 286, 064 है और अनुसूचित जनजाति की आबादी 91,875. वोटर लिस्ट के मुताबिक, जयपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिमों की आबादी 316764 है. जयपुर सीट पर ग्रामीण आबादी 131,548 है यानी करीब 6.3 फीसदी. जबकि शहरी आबादी 1,956,510 है यानी 93.7 प्रतिशत. 2019 के लोकसभा चुनावों में इस सीट पर 2088058 मतदाता थे और 68.1 फीसदी वोट पड़े थे. 


कब कौन रहा सांसद?


पहला चुनाव 1952 में हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी दौलतमल भंडारी को जीत मिली. इसके बाद 1957 के चुनाव में निर्दलीय हरीश चंद्र शरमा जीत गए. इसके बाद जयपुर की महारानी गायत्री देवी 1962 से लेकर 1971 तक यहां से जीतकर संसद पहुंचीं. इसके बाद 1977 और 1980 में जनता पार्टी के सतीश चंद्र अग्रवाल चुनाव जीते. 1984 में कांग्रेस के नवल किशोर शर्मा को जनता ने विजय दिलाकर संसद भेजा. इसके बाद 1989 से तो यहां बीजेपी की जीत का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ जो 2004 तक जारी रहा. बीजेपी के गिरधारी लाल भार्गव 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में यहां से लगातार जीते. इसके बाद 2009 में कांग्रेस के महेश जोशी को जीत मिली. 2014 और 2019 में बीजेपी के रामचरण बोहरा को जीत मिली.  
 
2014 के लोकसभा चुनावों में रामचरण बोहरा को 8,63,358 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के महेश जोशई को 3.24,013 वोट. इसके बाद 2019 के चुनावों में रामचरण बोहरा को 9,24,065 वोट हासिल हुए और कांग्रेस की ज्योति खंडेलवाल को 4,93,439 वोट.